Thursday, May 31, 2012

भारत बंद में भाजपाइयों कि कम भागेदारी अपने वरिष्ठ नेता के आरोपों कि पुष्ठी करती है|

भाजपा के वरिष्ठ नेता  लाल कृषण आडवानी ने भी आखिर कार कह ही दिया कि देश अगर  शासक  यूपीए  से नाराज़ है तो भाजपा से भी ज्यादा खुश नहीं है |ऐसा इन्होने पार्टी में आई निराशा  के फलस्वरूप कहा है|
दरअसल आडवानी कि पहल पर ३१-०५-२०१२ को भारत बंद का आह्वाहन किया गया जो कि सफल रहा |इससे उत्साहित होकर अपनी पार्टी कि कमिओं कि आलोचना करना और अपने जूनियर्स  का  मार्ग दर्शन  करना उनका हक़ और  दायित्व  बनता है |
    भारत बंद का राजनितिक लाभ लेने के स्थान पर अब भाजपा अपने ही स्यापों में उलझ कर रह गई है |लाल कृषण आडवानी के अपने ब्लॉग पर मखमल में लपेट कर  यह  जूता उछाला गया है इससे बेशक सत्तारूढ़ को कुछ राहत मिली होगी मगर भाजपा में नेता गण अपनी दाड़ी में तिनके तलाशने लग गए हैं|
 अगर देखा जाए तो आडवानी का निशाना बिलकुल सही है क्योंकि भारत बंद में भाजपाइयों कि कम  भागेदारी  अपने वरिष्ठ नेता के आरोपों कि पुष्ठी करती है|
मेरठ का उदहारण प्रस्तुत है यह फ़िलहाल भाजपा का गढ़ कहा जाता है |के मेयर  के लिए चुनाव होने हैं| विभिन्न जातिओं के लगभग ३५ नेता मेयर के लिए दावेदारी प्रस्तुत कर चुके हैं मगर बंद में इनमे से केवल एक ही मैदान में दिखाई दिए