Thursday, April 26, 2012

देश के सर्वोच्च हाउस में ज़िंदा जागता सेलेब्रेटी ही बिठाए जाने की कवायद जारी है

मेडम तुसाड [Museum]अजायबघर है |इसमें दुनिया भर के सेलेब्रेटीस के आदम कद मोम के पुतले बना कर  सजाये जाते हैं । मोम के ये पुतले बेचारे कुछ  मांगते नहीं उलटे मेडम की रोजी रोटी अच्छी चलाती रहती है जिसके कारण यह आजायबघर विश्व में प्रसिद्ध है । 
[१]सितारे संसद में 
[२]सभी दलों में  ईंट रोड़े वाली भानुमती हैं 
      सेलेब्रेटीस के मोम के आदमकद  पुतलों से विश्व प्रसिधी और कमाई होती देख कर हमारे देश के कर्णधारों को भी  इसकी नकल करने की प्रेरणा जागना स्वाभविक है\इसीलिए देश के सर्वोच्च हाउस में मोम के पुतले रखने के बाजाये ज़िंदा जागता सेलेब्रेटी ही बिठाए जाने की कवायद जारी है।इसी के चलते अब सचिन[क्रिकेट] तेंदुलकर और रेखा[फिल्म]को भी राज्यसभा में स्थापित किया जा रहा है।
      यदि पुराना इतिहास देखा जाए तो सेलेब्रेटीस  से  सभाओं  को सजाने का यह कार्यक्रम दशकों पुराना है।
पृथ्वीराज कपूर+लता मंगेशकर+धर्मेन्द्र+विजयन्तिमाला+दारासिंह+एम् ऍफ़ हुसैन+हेमा मालिनी+ अमिताभ बच्चन+ज्या बच्चन+दिलीप कुमार+राज बब्बर+शत्रुघन सिन्हा+शबाना आज़मी+सुनील दत्त+गोविंदा अर्थार्त यह लिस्ट बेहद लम्बी है और अभी जारी है।
    अब इन सितारों का हाउस में योगदान देखा जाए तो अमिताभ बच्चन स्वयम को मिसफिट कहते हुए संसद छोड़  गए+ गोविंदा और धर्मेंद्रा अपनी अनुपस्थिति से हमेशा आलोचना का शिकार बनते रहे।वी. माला और हेमा मालिनी शो पीस बन कर ही रह गई।राज बब्बर और शत्रुघन सिन्हा सक्रीय रहे मगर देश की तरक्की में उनका योगदान कोई उल्लेखनीय नहीं  रहा। दलीप कुमार और जोहनी वाकर जैसे सितारे भी एक पार्टी के लिए  वोटरों को मंच तक लाने में ही लगे रहे\
 शबाना आजमी+सुनील दत्त+कीर्ति आज़ाद[क्रिकेट]को भी अपवाद के रूप में देखा जा सकता है।लेकिन यह अपवाद भी नगण्य ही है।
   अब  गैर राजनितिक  सचिन की  हाउस में  इस पारी कोउनके क्रिकेट में योगदान के लिए देश की तरफ से  सम्मान बताया जा रहा है ।रेखा के विषय में भी कमोबेश यही  दलीलें आ रही है\
     हाउस की मर्यादा उसके योगदान पर ज्यादा निर्भर करती है लेकिन बीते दशकों से  देखा जा रहा है की देश और समाज हित में लिए   जाने वाले अनेक महत्वपूर्ण  फैसले या तो लंबित है या राजनीति  को ही समर्पित हैं।मेरा मानना है कि राजनीति के इस मंदिर में गैर राजनीतिकों का जमावड़ा उस कहावत को ही चरित्राथ करता है कि कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा  ।भारतीय संसद एक पवित्र राजनितिक मंदिर है मगर इसे देश की तरक्की की बजाये सितारों का  सहर्ष  संग्राहलय बनाया जा रहा है यह पीड़ा दायक है लेकिन विद्रूप है किआज कि तारीख में सभी राजनितिक दलों में है यह भानुमती अवतरित हैं सो सो सो सो 
[३]Live Museum 

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