Saturday, April 7, 2012

Ageing And Health By WHO 07=04=2012



१९४८ में गठित  विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व भर में स्वास्थ्य के 'प्रति जनचेतना जगाने को समर्पित है ।इसे उदेश्य से प्रति वर्ष एक नया स्लोगन +दिया जाता है जिसको चरितार्थ करने के लिए पूरे वर्ष कार्यक्रम आयोजित होते हैं।इस वर्ष भी डब्लू एच ओ  ने ७=०४=२०१२ को अपना  नया नारा बुजुर्गों के स्वास्थ्य को समर्पित किया है यह अपने आप में सराहनीय है और सर्वत्र सहयोग के काबिल भी है।
     जन संख्या में निरंतर वृधि और मृत्यु दर में गिरावट स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता तथा इलाज़ की सहुलिअतों  के फलस्वरूप बुजुर्गों की संख्या बढ रही है भारत में ही कुल आबादी के ७.५%लोग ६०+हैं।इसके साथ ही इनकी समस्याएं भी  स्वभाविक  रूप से बढ रहीं  हैं।
    इन समस्याओं के अनेक कारण हो सकते हैं मगर मुख्यत[१] छोटे परिवारों का चलन [२]परिवारों में बुजुर्गों की अनदेखी[३]बुजुर्गों के खानपान में लापरवाही[४]इलाज़ में कोताही[५]आवश्यक दवाओं का अभाव[६]काउंसलिंग का अभाव आदि  आदि हो सकते हैं।संभवत इन्ही कारणों से ओल्ड एज होम्स की कल्चर बढ रही है।
   भारतीय सिनेमा के सितारे  राजेश खन्ना की फिल्म  अवतार और  अमिताभ बच्चन की  फिल्म बागबान में  बुजुर्गों  की दयनीय स्थिति का भावपूर्ण चरितर्ण करके जागरूकता फैलाने का सराहनीय कार्य किया गया है।यह फिल्मे भारत के घर घर की कहानी कहती हैं\
    यह कहना अतिश्योक्ति नहीं  होगा कि बुजुर्गों के बगैर घर अधुरा रहता है और बुजुर्ग मरीज़ न हो तो अच्छे से अच्छा डाक्टर भी अधूरा ही रहता है।
    भारत में इलाज़ के अधिकाँश सेंटर सरकारों की दया पर निर्भर रहते है अब सरकारी व्यवस्था अपने ऊपर की जारही रोजाना की आलोचनाओं से  बेशर्म सी हो गई है |इसीलिए इलाज़ की  सरकारी व्यवस्था लाइलाज  होती जा रही है भारत  के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने स्वयम स्वीकार भी किया है की सरकारी अस्पतालों की हालत वाकई ठीक नहीं है।
केन्द्रीय सरकार की सी जी एच एस योजना का लाभ लेने के लिए सेवानिव्रती के पश्चात एक मुश्त बड़ी राशि जमा करवानी पड़ती है 
इससे राशि पर मिलाने वाला ब्याज [बुजुर्गों का सहारा]भी मारा जाता है  डब्लू एच ओ दिवस पर भी अधिकाँश सरकारी अस्पतालों और कालेजों में केवल सेमीनार या कार्यशालाएं या लेक्चर ही हुए हां एनजीओ ने जरूर बुजुर्गों के स्वास्थ्य की प्रेक्टिकल  जांच कराई मगर ऐसी संस्थाओं की संख्या ऊँठ के मुह में जीरा ही है।
   यहाँ फिल्म मेकर सुभाष घई की फिल्म सौदागर का उल्लेख करना चाहता हूँ बुजुर्ग बन चुके दिलीप कुमार और राज कुमार[अब दिवंगत]का हंसता खेलता चरित्र और फिल्म अवतार के राजेश खन्ना और बागबान के अभिनेता अमिताभ बच्चन का स्वाव्लाम्भी चरित्र आज भी प्रेरणादायक है।इसीलिए कहा भी जाता है की ओल्ड इज गोल्ड इसी गोल्ड को असली गोल्ड में बदलने के लिए ओल्ड एजिंग के देखभाल घर में तो जरूरी है ही   इसके साथ ही बुजुर्गों को स्वयम भी अपनी सेहत का ध्यान रख कर दूसरों पर बोझ बनाने के बजाये दूसरों के विकास में सहायक बनाना होगा । क्योंकि चैरिटी बिगिन्स एट होम्स इसलिए मैंने भी ६०+होने पर ही सही डब्लू एच ओ की इस काल को सही मायनों में अपना लिया है और सुबह शाम सैर शुरू कर दी है शायद इससे सरकारी अस्पतालों पर कम से कम मेरी निर्भरता तो कम हो ही सकेगी।
   सो डब्लू एच ओ धन्यवाद और बधाई १९४८ में गठित  विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व भर में स्वास्थ्य के 'प्रति जनचेतना जगाने को समर्पित है ।इसे उदेश्य से प्रति वर्ष एक नया स्लोगन +दिया जाता है जिसको चरितार्थ करने के लिए पूरे वर्ष कार्यक्रम आयोजित होते हैं।इस वर्ष भी डब्लू एच ओ  ने ७=०४=२०१२ को अपना  नया नारा बुजुर्गों के स्वास्थ्य को समर्पित किया है यह अपने आप में सराहनीय है और सर्वत्र सहयोग के काबिल भी है।
     जन संख्या में निरंतर वृधि और मृत्यु दर में गिरावट स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता तथा इलाज़ की सहुलिअतों  के फलस्वरूप बुजुर्गों की संख्या बढ रही है भारत में ही कुल आबादी के ७.५%लोग ६०+हैं।इसके साथ ही इनकी समस्याएं भी  स्वभाविक  रूप से बढ रहीं  हैं।
    इन समस्याओं के अनेक कारण हो सकते हैं मगर मुख्यत[१] छोटे परिवारों का चलन [२]परिवारों में बुजुर्गों की अनदेखी[३]बुजुर्गों के खानपान में लापरवाही[४]इलाज़ में कोताही[५]आवश्यक दवाओं का अभाव[६]काउंसलिंग का अभाव आदि  आदि हो सकते हैं।संभवत इन्ही कारणों से ओल्ड एज होम्स की कल्चर बढ रही है।
   भारतीय सिनेमा के सितारे  राजेश खन्ना की फिल्म  अवतार और  अमिताभ बच्चन की  फिल्म बागबान में  बुजुर्गों  की दयनीय स्थिति का भावपूर्ण चरितर्ण करके जागरूकता फैलाने का सराहनीय कार्य किया गया है।यह फिल्मे भारत के घर घर की कहानी कहती हैं\
    यह कहना अतिश्योक्ति नहीं  होगा कि बुजुर्गों के बगैर घर अधुरा रहता है और बुजुर्ग मरीज़ न हो तो अच्छे से अच्छा डाक्टर भी अधूरा ही रहता है।
    भारत में इलाज़ के अधिकाँश सेंटर सरकारों की दया पर निर्भर रहते है अब सरकारी व्यवस्था अपने ऊपर की जारही रोजाना की आलोचनाओं से  बेशर्म सी हो गई है |इसीलिए इलाज़ की  सरकारी व्यवस्था लाइलाज  होती जा रही है भारत  के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने स्वयम स्वीकार भी किया है की सरकारी अस्पतालों की हालत वाकई ठीक नहीं है। डब्लू एच ओ दिवस पर भी अधिकाँश सरकारी अस्पतालों और कालेजों में केवल सेमीनार या कार्यशालाएं या लेक्चर ही हुए हां एनजीओ ने जरूर बुजुर्गों के स्वास्थ्य की प्रेक्टिकल  जांच कराई मगर ऐसी संस्थाओं की संख्या ऊँठ के मुह में जीरा ही है।
   यहाँ फिल्म मेकर सुभाष घई की फिल्म सौदागर का उल्लेख करना चाहता हूँ बुजुर्ग बन चुके दिलीप कुमार और राज कुमार[अब दिवंगत]का हंसता खेलता बुजुर्गों वाला चरित्र और फिल्म अवतार के राजेश खन्ना और बागबान के अभिनेता अमिताभ बच्चन का स्वाव्लाम्भी चरित्र आज भी प्रेरणादायक है।इसीलिए कहा भी जाता है की ओल्ड इज गोल्ड इसी गोल्ड को असली गोल्ड में बदलने के लिए ओल्ड एजिंग के देखभाल घर में तो जरूरी है ही   इसके साथ ही बुजुर्गों को स्वयम भी अपनी सेहत का ध्यान रख कर दूसरों पर बोझ बनाने के बजाये दूसरों के विकास में सहायक बनाना होगा । क्योंकि चैरिटी बिगिन्स एट होम्स इसलिए मैंने भी ६०+होने पर ही सही डब्लू एच ओ की इस काल को सही मायनों में अपना लिया है और सुबह शाम सैर शुरू कर दी है शायद इससे सरकारी अस्पतालों पर कम से कम मेरी निर्भरता तो कम हो ही सकेगी।
   सो डब्लू एच ओ धन्यवाद और बधाई 
    
    

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