Sunday, November 13, 2011

उस आगन्तुक के पहले शब्द चाचा नेहरू नहीं रहे| आज भी दिमाग में कौंध रहा है|

आज जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म  दिन है इस दिन को विश्व भर में  बाल दिवस  के रूप में मनाया  जाता है |देश के पहले पी.एम्. के जन्म और बाल दिवस की  सबको लख लख वधाइयां+मुबारकां +कांग्रेचुलेशानास |
    साल में दो बार २७-०५-१९६४ की याद जरूर आती है हमारा परिवार हरिद्वार से गंगा स्नान करके मेरठ लौट रहा था[ उस समय शायद  मेरी उम्र १२ वर्ष थी ] रेलवे के एक फाटक पर  ट्रेफिक जाम था  गर्मी में बुरा हाल था |लोग व्यवस्था को [तब भी] कोस रहे थे  सभी को अपनी अपनी पडी थी |इतने में एक आदमी कुछ बेचता हुआ बस में चड़ा|पिता जी ने उससे जाम का कारण और इसके कब तक खुलने की संभावना तलाशने को सम्व्वाद शुरू किया|उस आगुन्तक के पहले शब्द ने ऐसा  विस्फोट किया की सभी स्तब्ध रह गए जाम की किसी को सुध ही नहीं रही |पूरी बस में काना फ्हूसी शुरू हो गई की अब कया होगा देश का कया होगा अगला पी.एम् कौन होगा|   यह उस  व्यक्तित्व का देश वासिओं के दिलों पर  असर था
   उस आगन्तुक का पहला शब्द था चाचा नेहरू नहीं रहे|
  इसके बाद तो एक  रास्ट्रीय अखबारने नेहरू जी के गुलाब वाले पोस्टर भी घरों तक पहुंचा कर उन्हें अपनी श्रधांजलि अर्पित की |स्कूलों में भी कुछ सालों तक  बाल दिवस पर लड्डू और छुट्टी बांटी गई  |दुर्भाग्यवश आज केवल अखबारों में  विज्ञापन छपवा कर इतिश्री की जा रही है|
 ४ दशक बीतने के पश्चात भी उनका नाम आज शिद्दत से लिया जाता है उनके बच्चों के प्रति प्यार को देखते हुए उनके जन्म दिन को बाल दिवस के रूप में ज़िंदा रखा जा रहा है| |
   बाल दिवस पर मीडिया में पूरे पेज केविज्ञापन छपवाए जा रहे हैं मगर दुर्भाग्यवश आज नौनिहालों की सुध लेने की बेहद जरुरत है बेसिक शिक्षा का  मजबूत आधारही उच्च शिक्षा की नीवं को मज़बूती प्रदान कर सकता है   स्कूलों में बेसिक शिक्षा का स्तर और ड्राप आउट का बढ़ता ग्राफ चिता का विषय होना चाहिए मगर आज सभी वर्गों से केवल उच्च शिक्षा को ही महत्त्व दिया जा रहा है|अर्थार्त कच्ची नीवं पर बड़ी इमारत खड़ी की जा रही है| शायद इसीलिए उस आगन्तुक  के पहले  शब्द चाचा नेहरू नहीं रहे| आज भी दिमाग में कौंध रहा है|इसीलिए यह माउस भी यह लिखने को मजबूर है की बाल दिवस को जीवंत करने को उपयोगी बनाने को आज भी चाचा नेहरू की बेहद जरूरत है|

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