Tuesday, November 8, 2011

बकरीद के पावन त्यौहार पर साम्प्रदाईक सौहार्द की सुखद ब्य़ार के छींटे महसूस किये गए|




ईद गाह पर इकट्ठा होते नमाजी 


 अपने दोस्त की आखरी सवारी का लुत्फ़ 

मेरा बकरा सबसे बढ़िया 
 बकरीद के पावन त्यौहार पर   साम्प्रदाईक सौहार्द  की सुखद  ब्य़ार के छींटे महसूस किये गए|
सुधारात्मक परिवर्तन से  समाज  ज़िंदा रहता है संस्कृति  फलती  फूलती रहती है इस  बकरीद के पावन त्यौहार पर यही सुखद  ब्य़ार के छींटे महसूस किये गए|
सबसे पहले कट्टर  पड़ोसी मुल्क  से यह आवाज़ आई कि बकरीद पर निरीह  जानवरों की [हलाल]कुर्बानी देकर जरुरत मंदों की मदद करने के स्थान पर गरीब और जरुरत मंद को एक  ज़िंदा बकरी दान में दे कर मदद की जानी चाहिए|इससे लम्बे समय तक  उसे दूध उपलब्ध हो सकेगा|
भारत  में विश्व प्रसिद्ध देवबंद के  इस्लामिक सेंटर से हिन्दुओं की भावनाओं की कद्र करते हुए गाय की कुर्बानी ना करने को कहा गया |इससे समाज में एक अच्छा+ सकारात्मक+प्रशंशनीय  सन्देश गया है|
मेरठ के   सदर कारी साहब  ने भी अपनी तक़रीर में  गाय की कुर्बानी को नाजायज़ न बताते हुए भी बहुसंख्यकों की भावनाओं की कद्र करते हुए गाय की कुर्बानी ना देने को कहा 
मेरठ की ही दाल मंडी  में मीट के टुकरों को लेकर  साम्प्रदाईक विष  को फैलाने वालों की करतूतों को असफल बनाते हुए  एक हिन्दू मंदिर के लोगों ने रात में आगे आ कर  मंदिर में मीट नहीं फैके जाने की बात कह कर तनाव को समाप्त किया |हुआ यूं कि रात में  हुए झगड़े में मंदिर के पास मीट के कुछ पेकेट गिर गए अविश्वास  की हवा कुछ इतनी तेज़ी से बही की लोगों को बताया गया की मंदिर में किसी ने मीट डाल कर वैमनस्य  फैलाया है मगर मंदिर वालों की सूझ बूझ  से यह बात तत्काल साफ़ हो गई कि मंदिर में नहीं मंदिर के समीप गली में मीट गिरा है जिसे तत्काल साफ भी करा दिया गया| 

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