Friday, November 4, 2011

केंद्र सरकार के कार्यालयों में ५ दिन सतर्कता जागरूकता सप्ताह

केंद्र सरकार  के कार्यालयों में ५ दिन सतर्कता जागरूकता  सप्ताह
सरकारी कार्यालयों में भ्रस्ताचार के खात्मे के लिए बनाए गए केन्द्रीय सतर्कता आयोग  ने प्रति वर्ष की भांति ३१-१०-२०११ से सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाया  इस विशेष सप्ताह का समापन आज ०५-११-२०११ को है|आज केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में शनिवार का अवकाश है|सो समापन की  औपचारिकता भी सम्भव नहीं है हाँ सप्ताह के पहले दिन ३१-१०-२०११ [अर्थार्त दिवाली के तोहफे आदि ले लिवाकर फारिग हुए] केंद्र सरकार  के कार्यालयों में ५ दिन सतर्कता जागरूकता  सप्ताह मनाने की  फार्मेलिटी शुरू की गई|
सप्ताह की शुरुआत एक शपथ ग्रहण कार्यक्रम से की गई |इसमें  प्राप्त दिशा निर्देशानुसार भारत के लोक सेवकों ने अपने कार्यकलापों  के प्रत्येक छेत्र में ईमानदारी+पारदर्शिता+बनाये  रखने को प्रयत्नशील रहने की शपथ ली गई|अपने संघठनों को गौरव शाली बनाने और देश वासिओं को बिना भय और पक्षपात के  सिधान्तों पर आधारित सेवा प्रदान किये जाने की बात भी की गई|
इसके बाद के दिनों में  सुविधानुसार वार्ता [डिबेट]निबंध आदि आयोजित होते हैं|भ्रस्ताचार उन्मूलन के लिए लोकपाल बिल के उपयोगिता आदि आदि पूछी जाती है 
 भावना इस आयोग के गठन  में निहित भावना पर कोई संदेह  नहीं  किया जा सकता १९६४ में गठित इस आयोग ने अब तक विषयक जागरूकता के लिए अनेक उल्लेखनीय कदम उठाय हैं|कार्यालयों में विशेष विजिलेंस अधिकारी बनाये गए हैं जगह जगह जागरूकता बोर्ड लगे हैं|प्रति वर्ष एक नया नारा दिया जाता है जैसे इस वर्ष के लिए पार्टी सिपेतिव विजिलेंस  participative vigilance का नारा दिया गया है इसके अलावा दूरभाष संख्या १९६४ पर भ्रस्ताचार के विरुद्ध शिकायत करने की सुविधा भी दी गई है|इसके अतिरिक्त प्रत्येक कार्यालय से आदेशों के पालन की रिपोर्ट भी मंगवाई जाती है |
उपयोगिता    प्राप्त सूचनाओं के अनुसार विषयक जागरूकता के लिए किये जा रहे प्रयासों के निशान हर जगह दिखाई देते है अर्थार्त जहाँ तक जागरूकता की बात है तो यह आयोग सफल है मगर निर्देशों के अनुपालन के विषय में ऐसा कहना कुछ कठिन  होगा|प्राप्त जानकारी के अनुसार ४७ साल से जागरूकता अभियान के नतीजे संतोषजनक नहीं है|प्राय देखा गया है कि विभागों में अनेक मलाईदार सीटें या अनुभाग हैं|इनके लिए लोक सेवकों में  मारामारी भी रहती है बेशक कहीं कहीं  एक दूसरे को नीचा दिखाने को शिकायतें करने का चलन है मगर अधिकाँश विभागों में मलाई के  सेवन में लिप्तता देखी जा सकती है और गाहे बगाहे अखबारों क़ी सुर्खियाँ भी बनाती हैं|दरअसल मलाई दार सीटों पर तैनात अधिकारी [कभी कभी तो अनेक सीटों पर एक ही काबिज]क़ी पहुँच ऊपर तक होती है सो ऐसे मलाई खाने वालों को ही विजिलेंस अधिकारी बना कर ओपचारिकता पूरी कर दी जाती है|यहाँ तक कि सेना से जुड़े कार्यालय जैसे एम्.ई.एस+रक्षा लेखा विभाग+ छावनी परिषद्+रक्षा संपदा आदि आदि भी अपवाद  नहीं   रह गए हैं|
आवश्यकता  आयोग या  लोक पाल या जनलोक पाल या कोई भी पाल बना भर देने से भ्रस्ताचार रुक जाएगा इसकी गारंटी नहीं ली जा सकती इसके लिए  राजनितिक इच्छा शक्ति को   दिखाया जाना भी जरूरी है अर्थार्त अब सतर्कता जागरूकता के साथ साथ भ्रस्ताचार क़ी रोकथाम को  कार्यवाही करनी और उसे दिखानी भी जरुरी हो गया है |अधिकारिओं के दायित्व में असंतुलन  के साथ साथ ब्रिटिश रूल  ब्लैक मैन ब्लैक रूल व्हाईट मैन व्हाईट रूल बात माई मैन नो रूल भी व्यवस्था में कोड़ साबित हो रहा है|
इस दिशा में सरकार के कर्णधारों क़ी विश्वसनीयता पर प्रशन चिन्ह नहीं लगाया जा सकता मगर फिर भी भ्रस्ताचार का दानव विकराल विशाल होता जा रहा है और अगर निकट भविष्य में कुछ नहीं किया गया तो यह देश में भूचाल भी ला सकता है|

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