Tuesday, September 20, 2011

हिस्से की माफी मांग ले तो सारा स्यापा ही मुक जाएगा अर्थार्त विरोध ही खत्म हो जाएगा|

भारतीय राजनीति में प्रतिद्वंदी को पछाड़ने के लिए  साम+ दाम +दंड के साथ साथ  एक नया दावं माफी  बेहद चलन में है |हर कोई आये दिन एक दूसरे को दावं माफी से पछाड़ने की होड़ में  दिखाई दे रहा है|
        यह दावं माफी मांग कर प्रतिद्वंदी को पछाड़ने का नहीं है वरन दूसरे से जबरदस्ती माफी मंगवाने का है|१९८४ के सिख दंगों के लिए सोनिया गांधी या राहुल गांधी को माफी  मांगनी चाहिए |२००२ के  सांप्रदायिक  दंगों के लिए नरेंदर मोदी को माफी मांगनी चाहिए|बाबरी मस्जिद ढांचा गिराने के लिए लाल कृषण आडवानी को माफी मांगनी चाहिए| माफी के गुनाहगारों में राज ठाकरे+बल ठाकरे+अशोक गहलोत+प्रकाश सिंह बादल+उमर अब्दुल्लाह +मायावती +मुलायम सिंह यादव++=+++आदि एक बड़ी लिस्ट है |कहने का अभिप्राय है की आज हर कोई  किसी न किसी दूसरे से किसी न किसी बात के लिए माफी मंगवाने की मांग उठा कर अपने वोट बैंक और पार्टी नेताओं पर बडत बनाये रखना चाहता है | माफी बेचारी उस रस्सी की तरह हो गई है जिसे दोनों सिरों से खींचा जा रहा है |इस रसाकस्सी में [इस आरोप प्रत्यारोपों में ]कोई माफी मांगने को राजी नहीं है |महा पुरुषों की मान कर यदि सभी अपने अपने हिस्से की माफी मांग ले तो सारा स्यापा ही मुक जाएगा अर्थार्त विरोध ही खत्म हो जाएगा|

No comments: