पांच सितम्बर को पूरा राष्ट्र शिक्षक दिवस मना कर जहां देश के पहले राष्ट्र पति डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृषण को याद करता है वहीं शिक्षको को सम्मानित करके छात्र और शिक्षक के पवित्र रिश्ते को मज़बूत किया जाता रहा है|अविभाविक भी अपने पुराने गुरुजनों को सम्मानित करके अपनी युवा पीड़ी के समक्ष उदहारण प्रस्तुत करते रहे हैं |लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले कई दशकों से छात्र+शिक्षक+अविभाविकों में आपसी सामंजस्य के स्थान पर टकराव की स्थिति ही देखने में आ रही है जिसके फलस्वरूप भौतिकवादी व्यवस्था के ग्रहण से ग्रसित शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाने शुरू हो गए हैं|
अब समय आ गया हैजब महज़ शिक्षक दिवस को ओउप्चारिकता के मुखौटे से मुक्ति दिला कर व्यवस्था के सुधार को देश भर में व्यापक बहस छेड़ी जाए और निश्चित अवधि में सकारात्मक परिणाम प्राप्त किये जाएँ|
कहने को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार दे दिया है प्रदेशों में भी सरकारी शोचनीय स्कूलों की दशा सुधारने की अपील की जा रही हैं मगर समाज के भौतिकवादी झुकाव से अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं|शायद यही कारण है की आज सभी प्रयासों के बावजूद शिक्षक+छात्र+अविभाविक सभी चिंतित हैं|इसके समर्थन में कुछ नवीनतम उदहारण प्रस्तुत हैं
[१] मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय में अव्यवस्थाओं के चलते आये दिन छात्र संघ और शिक्षक आमने सामने होते रहते हैं यहाँ तक की कुलपति का घिराव+नारे बाज़ी आम बात हो चली है+भ्रस्ताचार के आरोप तो आये दिनअखबारों की सुर्खिओं में रहते है|शायद यही कारण है की महज़ बीते तीन सालों में पांच कुलपति बदले जा चुके हैंआज यह हालत है कि वर्तमान कुलपति की फौज तैनाती की मांग के मद्दे नज़र परिसर पुलिस छावनी बना हुआ है
[२] शिक्षा के अधिकार[आर.टी.आई.]का मखौल निजी शिक्षण संस्थान खुले आम उड़ा रहे हैं|२५%गरीबों को शिक्षा देना तो दूर उलटे फीस नहीं देने पर उन्हें स्कूल से बाहर निकाला जा रहा है|ऐसा दुस्साह मीडिया मंडी मेरठ में हो रहाहै|प्रबंध शिक्षा संस्थानों के डिग्री धारकों को नौकरी के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है|
[३] व्यवस्था में व्याप्त भ्रस्ताचार के चलते शिक्षकों की तैनाती+मासिक वेतन से लेकर पेंशनरों को पेंशन के लाले पड़े हुए है|स्टेट बैंक और बेसिक शिक्षा अधिकारी के कारण २९ अल्प आय पेंशनरों को फरबरी २०११ की पेंशनअभी तक नहीं मिली है
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