वित्तीय सुधार + भ्रस्ताचार की रोक थाम को लेकर केंद्र सरकार बेशक जितना भी दावा करे मगर बैंको की और प्राथमिक अध्यापकों की दयनीय स्थिति इसके ठीक उलटा ही पिक्चर दिखा रही है |सबसे पहले स्टेट बैंक आफ इंडिया की तिमाही के रिपोर्ट पर नज़र डालनी जरूरी है|सर्वविदित है कि[१] इस बैंक की अधिकाँश शाखाएं [कमसेकम मेरठ में]सरकारी जमीनों परअर्थार्त सबसे कम किराए पर हैं [२]सरकारी विभागों के लिए प्राथमिक आधार पर लेन देन है बैंक क़र्ज़ देते समय दुनिया भर की बंदिशें लगा कर अपना पैसा सुरक्षित करता हैइसपर भी इस साल की पहली तिमाही में ४५.६%की हानि की व्यवस्था हैऔर २७८२ करोड़ के कर्जों की वापसी की उम्मीद ही नहीं रखी गई है|[एन पी ऐ]
अब इस बैंक के कामकाज को भी देख लिया जाये |प्राथमिक टीचरों को पेंशन देने के लिए विभागों से आ रहे चेकों को क्रेडिट करने में आम लापरवाही की ढेरों शिकायतें हैं नवीनतम उदहारण है दिनाक ३१-०३-२०११ का चेक नंबर ०३४४८१ स्टेट बैंक की मुख्य शाखा को शिक्षा विभाग द्वारा भेजा गया था इस चेक के माध्यम से २९ [पूर्व ]अध्यापकों कोपेंशन दी जानी थी |मात्र २४८२०७ रुपयों के इस चेक का भुगतान ना किये जाने की शिकायत करने पर अगस्त माह में शिक्षा विभाग में वापस भेज दिया गया | इस विभाग में व्याप्त भ्रस्ताचार के लिए दशकों से अन्ना हजारे की मांग की जा रही है नतीजतन २९ पेंशनरों को आज तक फरबरी २०११ की पेंशन नहीं मिली है|
1 comment:
yes pension is important and its sad to know they havent received yet.
Post a Comment