Thursday, June 17, 2010

इश्वर ही अब रक्षा करे मेरठ छावनी की

इश्वर ही अब रक्षा करे मेरठ छावनी की क्योंकि जिस आबुलेन   पर  सेन्ट्रल पार्किंग होने पर भी शाम को पैदल चलना दुश्वार हो गया है दिन में जेनरेटरों की कानफोडू साउंड से कानो पर से हाथ हटाना मुश्किल हो जाता है अलग चाट बाज़ार बनाए जाने के बावजूद भी यहाँ बच बच कर ठेलों के बीच से गुजरना पड़ता है ऐसे आबुलेन  पर   अब २० करोर की लागत से मल्टीप्लेक्स बनवाने की कवायद फिर से शुरू हो गई| हैबरसों से वीरान पड़े बँगला १८०मे कभी गांधी मेमोरियल स्कूल हुआ करता था वहां यह काम्प्लेक्स प्रस्तावित है
         रक्षा मंत्रालय में विगत ७ सालों से लंबित इस प्रोजेक्ट को फिर से खोले जाने को जोड़तोड़ शुरू हो गई है
बेशक यह राजस्व में वृधि करेगा यह अतिक्रमण और कैंटबोर्ड की नज़र में गैर कानूनी भी नहीं है मगर झाल्लेविचारानुसार इस बहुमंजिली व्यवसाइकभवन से पर्यावरण की ऐसी की तैसी तो होगे ही साथ ही छेत्रवासिओं के स्वास्थ्य पर भी असर पडेगा|
         यह छोटा सा आबुलेन बेगम पुल को सदर घंटाघर से जोड़ता है इस छोटे से आबुलेन पर पहले से ही एक सिनेमा घर है |तीन  होटल+कई रेस्टोरेंट+बैंक+एल.आई.सी.+ एम्.ई.एस.+पशुपालन विभाग हैं  +  अनगिनत शो रूम हैं+ प्लाज़ा है+साइकल मार्केट है|रिहाइशी कालोनीस हैं  जिनके मद्देनज़र यहाँ से एल.आई.सी.+बैंक+एम्.ई.एस.+पशुपालन विभाग तथा सिनेमा घर आदि को यहाँ से ट्रांसफर किया जाना चाहिए जबकि इसके ठीक उलट यहाँ एक और मल्टीप्लेक्स बनाया जाना है बेशक यह राजस्व में वृधि करेगा यह अतिक्रमण और कैंटबोर्ड की नज़र में गैर कानूनी भी नहीं है मगर पर्यावरण की नज़र से इसे कया उचित  कहा जा सकता है?

4 comments:

Udan Tashtari said...

चिंता का विषय!

Naveen Tyagi said...

bhaisahab shastrinagar me aa jaiye.yahan pe abhi kuch had tak shanti hai.

jamos jhalla said...

शांति[वर्तमान में] केवल त्यागिओं के ही नसीब है आपके शास्त्री नगर में और दूसरी कई अशान्तियाँ हैं कभी त्यागी बने बगैर देखिएगा

Saint Charles Carpenters said...

Hello mate, nice blog