मेरठ छावनी के लिए हुए चुनावों में भाजपा +कांग्रेस+सपा आदि रास्ट्रीय दल अपनी रास्ट्रीय साख गवां बैठे हैं|बेशक इन चुनावों में पार्टी चुनाव चिन्ह प्रयोग करने की परमिशन नहीं दी गई मगर फिर भी सभी दलों ने पार्टी के रूप में चुनावी वैतरणी पार करने का पर्यास किया| बसपा ने सीधे सीधे दखल से बचना ही मुफीद समझा लेकिन वास्तव में तो बरसात को मेरठवासी और चुनावों मेंवोटरों के आशीर्वाद को बी. जे.पी और कांग्रेस सरीखे रास्ट्रीय दल तरसते ही रहे|
दिन में बादल देख कर बरसात और चुनाव आते ही अपनी जीत का दावा करने वालों की कोई कमी नहीं है एक ढूँढो हज़ार मिलते हैं लेकिन रात में चांदनी छटाऔर स्थानीय चुनावों में हार डिक्लेयर होते ही सभी दावे धरे रह जाते हैं आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगा दी जाती है भाग्य ,भगवान् और विरोधिओं को कोसा जाता है
यदपि इन चुनावों में र्राजनितिक दलों के स्थाई चुनाव चिन्ह नहीं दिए गए थे मगर फिर भीइन दलों ने पार्टी के नाम पर चुनाव लड़ा
मेरठ के छावनी परिषद् के आठ सदस्यों के लिए चुनाव हुए विकास नामपरवोट मांगे गए
राहुल गांधी और श्रीमती सुषमा स्वराज का नाम भी प्रयोग किया गया लेकिन नतीजे कुछ और ही निकले वोटरों ने जातिवाद ,धर्म से ऊपर उठ कर वोट डाले
इसमें भाजपा के कमल की पंखुडियां और कांग्रेस के हाथ की अंगुलियाँ प्रभवित हुए
निर्दलीय और बागी मित्रों ने जम कर कमल की पंखुड़ियों को नोचा और कांग्रेसी हाथ की अँगुलियों को तोड़ डाला
दोनों के विकास के दावे धरे रह गए भाजपा को जहां आठ में से एक भी सीट नहीं मिली वहीं कांग्रेस को केवल एक ही सीट से संतोष करना पड़ रहा है यहाँ तक की कांग्रेस के ४ और भाजपा के २ प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए सपा का तो कोई भी प्रत्याशी कोई भी लाइन पार नहीं कर पाया
दोनों दल व्यवस्था और गुट बाज़ी को कोस रहे हैं
और अब इन्हें छोटा चुनाव बता कर अपनी झेंप मिटा रहे हैं
कांग्रेस केंद्र में सत्ता के बल पर प्रदेश सरकार को उखाड़ फैकने के लिए इन चुनावों को पहली सीडी और भाजपा न्रेतत्व स्थानीय सांसद और विधायक[दोनों भाजपा]के बल पर छावनी परिषद् को अपनी झोली में बताते रहे
मेरठ केंट के [व्यवस्था से त्रस्त]वोटरों ने इन दोनों बड़े दलों के लोकल न्रेतत्व को बुरी तरह से नकार दिया
विजयी सदस्य ने दोनों दलों के सदस्यों से ज्यादा वोट लेकर विजय दर्ज की
७७३२७ वोट्स में से ५२.८६%वोट्स ही डाले जा सके भाजपा को अपनी इस छपरोली में महज़ ७५६९ वोट्स ही नसीब हुए
कांग्रेस की कंडीशन इससे भी खराब रही मगरवार्ड एक से प्रेम धींगरा की एक सीट जीत कर संतोष किया जा रहा है
इन चुनावों से बड़े दलों को अपनी नीतिओं पर पुनर्विचार करने का सन्देश स्पस्ट है इनके साथ ही मेरठ वालों को भी यह नसीहत है की दिन बदरा रात चांदनी कहे घाघ वर्षा टली
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