Monday, May 24, 2010

केन्द्रीय कर्मिओं के घर अभी भी चूल्हा नहीं जलता

केंद्र सरकार ने अपने कर्मियों की तनख्वाहें बेशक तिगुनी कर दी है मगर अभी भी केंद्र सरकार के कई कर्मिओं के घर पर चूल्हा जलाने को पूरे परिवार को इंधन का इन्तेजाम करना पड़ता है

बेशक इसमे कर्मिओं की गलती है मगर इसके साथ ही साथ लोकल प्रशाशन+इंटेलिजेंस+जनप्रतिनिधि+विभाग भी कम जिम्मेदार नहीं हैं
     मेरठ स्थित केंद्र सरकार के कई कार्यालय हैं इनमे कार्यरत कर्मी ही अपने साथिओं को गैरकानूनी ढंग से मोटे ब्याज पर रकम उधार देते हैं
अब घर के किसी काम के लिए+बच्चों की पढाई+बीमारी आदि के लिए कर्ज देना या लेना तो समझ आता है मगर केवल शराब पीने के लिए क़र्ज़ देना और लेना किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है
चलन के अनुसार उधार देने वाला यदि ५०० देता है तो पहले ही २०%काट कर रख लेता है
उसके बाद क़र्ज़ लेने वाले को शराब पिलाने को कहा जाता है यह सिलसिला पैसा खत्म होने तक चलता रहता है
क़र्ज़ लेने और देने वाला दोनों ही शराब में मस्त रहते हैं क़र्ज़ लेने वाले पर क़र्ज़ की मूल+ब्याज बढ़ता जाता है और उसके घर पहुचने वाली तनख्वाह घटती जाती है यहाँ तक की घर में फाके की नौबत तक आ जाती है
जाहिर है ऐसे में दूसरे सदस्यों को भी अपनी उम्र से पहले ही मैदान में आना पड़ता है
   बीते सप्ताह इस अनुचित लेनदेन से माल रोड स्थित एक कार्यालय में कानून व्यवस्था की समस्या भी आई
एक कर्मी के दो बेटों ने ब्याज देने वाले से [सबके सामने ]उनके पिता को शराब पीने के लिए क़र्ज़ नाहीं देने का आग्रह किया+ निवेदन किया++ विनती की +++मगर पैसे+ रसूख और सुबह सुबह नशे में चूर धनिक पुत्र ने अपने गुंडों को तत्काल बुलवा कर अपनी धमक दिखलाते हुए ना केवल क़र्ज़ दार को कार्यालय से बाहर लेजाकर मारा पीटा बल्कि उसके दोनों निर्दोष बच्चों को भी गंभीर रूप से घायल कर दिया
इस वीभत्स घटना की पोलिस में सूचना दी गई पोलिस आई भी दोनों पक्षों को थाणे भी ले गई मगर क़र्ज़ दार को पोलिस और अपनों के दबाब के चलते समझौता को राजी होना पडा यह घटना पूरेदीन चर्चा का विषय बनी रही मगर विभाग +पोलिस+जनप्रतिनिधि+साथी कर्मिओं में कोई हलचल नहीं देखि गई

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

अजीब लोग है कर्जा वो भी शराब पीने के लिये???

sm said...

yes this is the real story of India.

jamos jhalla said...

धन्यवाद+Thanks