इससे बेशक अस्न्तुस्ठों [जिन्हें टिकट नहीं मिला]ने बगावत का झंडा बुलंद कर लिया है मगर इसके साथ ही दूसरी और अपने परमानेंट वोट बैंक को आगामी विधायक और सांसद के चुनावों के लिए जोड़ने में सफलता भी पा ली गई है|भाजपा का छावनी में वैश्य +पंजाबी+जाट+++ मुख्य आधार है|अगर विधायक और सांसद दोनों ही वैश्य समाज से हैं|शायद इसीलिए इसी समाज के नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी पेश की| और नामांकन से पहले ही जनसम्पर्क शुरू कर दिया|रिसर्व छेत्रों से अपनी पत्नी के लिए दावेदारी ठोकने वाले भी कम नहीं थे |
मगर पार्टी में विशेह्कर पंजाबी और जाट विरोधी स्वर जोर पकड़ने लगे तब जा कर प्रदेश न्रेतत्व ने वार्ड २ से सिटिंग केंडीडेट ,वार्ड ८ से एक जाट, ३ से पंजाबी, ६ से मेह्रोलिया[रिसर्व] को चुना इसके साथ ही वैश्य समाज की वोटें अधिक होने के फलस्वरूप वार्ड १+४+५+७ को वैश्य केंडीडेट्स के लिए छोडे गए|४६ लोगों द्वारा ८ सीटों के लिए टिकट मांगे जाने पर३८ लोगों [४६-८] की नाराजगी स्वाभाविक भी है|8 में से ४ टिकट वैश्य समाज को दिए गए |३ वार्ड महिलाओं के लिए रिसर्व हैं मगर जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला उन्होंने इन रिसर्व छेत्रों से अपनी पत्नी के लिए दावेदारीठोक दी हाँ छावनी में सोनकर वोटें भी हैं मगर इस छेत्र को अनदेखा किया गया है शायद वैश्य समाज को अडजस्ट करने को ही ऐसा किया गया है|
बेशक असंतुस्ठों को मनाने का प्रयास जारी है मगर छावनी के बड़े भाजपाई इसके लिए एक्टिव नज़र नहीं आ रहे|
१९९२ की परिषद् में भाजपा के तीन केंडीडेट जीते थे तब बागी कम थे अब बागिओं की संख्या अधिक है मगर सभी बिरादारिओं को साथ लेने का प्रयास किया गया है देखना है की भविष्य[विधायक+सांसद]सुधारने के चक्कर में भाजपा अपना वर्तमान[छावनी परिषद्]बचा पाती है की नहीं
6 comments:
what a non sense news. plz dont make any post on currupt poltician
... घिनौनी राजनीति का एक और नया दांव !!!
चलिये देखे आगे क्या गुल खिलता है..
माधव जी आपके नानसेन्स में भी सेन्स हे दरअसल अब समय आ गया हे की करप्ट पोलिटिक्स को बेनकाब किया जाए|आखिर कब तक आज की राजनिति से मुह मोड़े रखा जा सकता है|yes
udai ji raaj jiour eyes are open
आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
आचार्य जी
thanks for sharing
lets see what happens in the game of politics
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