

आज३०जनवरी है[ गांधी जी की पुण्यतिथी ]]अखबारोंमें उनकेसंस्मरणछापेगएहैं[हमेशा की तरह] समाधिपरपुष्पचक्रचड़ाएगएलेकिन [हमेशा की तरह ]आज भी महात्मा [गांधी]तो मजबूत हुआ है औरगांधी[बेचारा][वाद]कमजोर हुआ है साठा पाठा हो चुके मुल्क मैं नमक[१९३०] सत्याग्रह या भारत[१९४२]छोड़ो आन्दोलन नहीं हुआयह किसानो के लिए+महंगाई+नक्सलवाद+शिक्षा[र...ोजगारपरक]+देसी अर्थव्यवस्था++++++के लिए हो सकते हैं मगर गांधीकी आत्मा को महात्मा बना उनकी समाधि को फूलों से दबा दिया गया है+गांधी के विचारों को फ्रेम मड कर दीवारों पर धुल फांकने को टांग दिया गया हैझाल्लेविचारानुसार एक महात्मा राष्ट्रपिता गांधी नहीं हो सकता हाँ गांधी जरूर महात्मा बन सकता है क्योंकि सीने पर तीन तीन गोलियां खाने वाला ही गांधी और फिर महात्मा बन सकता हैसो आज महात्मा तो बहुतेरे हैं राष्ट्रीय नेता हैं और बड़े बड़े पुरूस्कार पाने वाले कथित सेवक भी हैंइसीलिए फिर एक गांधी की जरूरत है वोह गांधी जो वर्तमान विसंगतियों की गुलामी से आजादी दिलाने को सीने पर गोलियां खा कर महात्मा और फिर राष्ट्रपिता कहलाये
6 comments:
... हे राम ... हे राम... !!!
the title of the post says it all.
How true
चावला जी धन्यवाद
कोरी जी बधाई इस बहाने राम की तो याद आयी|
I love your posts.They are very meaningful.
Thanks again chowla ji
..गांधीकी आत्मा को महात्मा बना उनकी समाधि को फूलों से दबा दिया गया है+गांधी के विचारों को फ्रेम मड कर दीवारों पर धुल फांकने को टांग दिया गया है..
..दर्दनाक सच.
Post a Comment