Saturday, October 3, 2009

पीडितों के लिए राजनीति नहीं मदद इकट्ठा करो

आज रविवार हैआश्चर्यजनक रूप से पावर कट भी [१२ बजे]नहीं हैआसमान पर हलके बादल रवि के प्रभाव को कम कर रहे हैं और दिल फरेब मौसम के आगमन की सूचना से मिस गाइड भी कर रहे हैंलुब्बे लुबाब ये है की सब कुछ मिला कर मौसम ठीक ठाक हैचाय की चुस्किओं के साथ पकोडिओं की फरमाईश परिवार की तरफ़ से है
इस सबके ठीक उल्ट यानी मौसम के स्वभाव के विपरीत दिल कुछ उदास है कल रात तक टीवी चैनल्स
और अब सुबह सुबह प्रिंट मीडिया बिहार में नर संहार और साउथ में [आन्ध्र प्रदेश+गोवा+महारास्ट्र+कर्णाटक]प्राकृतिक बारिश + बाड़ से हुए तबाही का दुःख भरा समाचार दे रहे हैंजान और माल की बड़ी तादाद में हुई हानि के समाचारों से +ह्रदय विदारक [पीडितों के] चित्रों से कथित नैसनल +लोकल+]अखबार भरे हैं
झल्ले की [१]इश्वर से कामना है की मृतकों की आत्मा को शान्ति प्रदान करें
[२]स्थानीय व्यापारिओं से अपील है की संकट का फायदा न उठाएं
[३]नेताओं से निवेदन है की इस दुःख पर राजनीति ना करें
[४]हो सके तो हेल्प इकट्ठा [एक जुट]करें

6 comments:

BK Chowla, said...

You are expecting too much from politicians not to play politics with crisis.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लेकिन आज तक तो यह मदद इन बेचारे पीडितो तक नही पहुची, खाने वाले ही अपना पेट भर लेते, है मदद या तो आस पडोस के करते है, या बेचारे खुद ही रो धो कर अपना वक्त गुजार लेते है, कई मर जाते है......

jamos jhalla said...

भाटिया जी चावला जी आपके
कमेंट्स आपके जीवन के अनुभवों का
शानदार प्रदर्शन हेjhallevichaaraanusaar we should keep hammering tillcorrupt system is hamstring

BK Chowla, said...

We can hammer as much as we want.
FOR GANGA TO BE CLEAN,GANGOTRI HAS TO BE CLEAN.

jamos jhalla said...

yes we should and by the grace of god we will.

Everymatter said...

it is good opportunity for politicians

how do u think that they will not do politics in name of criss than collect money from everywhere and eat it. in association with bureaucrats