इस सबके ठीक उल्ट यानी मौसम के स्वभाव के विपरीत दिल कुछ उदास है कल रात तक टीवी चैनल्स
और अब सुबह सुबह प्रिंट मीडिया बिहार में नर संहार और साउथ में [आन्ध्र प्रदेश+गोवा+महारास्ट्र+कर्णाटक]प्राकृतिक बारिश + बाड़ से हुए तबाही का दुःख भरा समाचार दे रहे हैंजान और माल की बड़ी तादाद में हुई हानि के समाचारों से +ह्रदय विदारक [पीडितों के] चित्रों से कथित नैसनल +लोकल+]अखबार भरे हैं
झल्ले की [१]इश्वर से कामना है की मृतकों की आत्मा को शान्ति प्रदान करें
[२]स्थानीय व्यापारिओं से अपील है की संकट का फायदा न उठाएं
[३]नेताओं से निवेदन है की इस दुःख पर राजनीति ना करें
[४]हो सके तो हेल्प इकट्ठा [एक जुट]करें
6 comments:
You are expecting too much from politicians not to play politics with crisis.
बहुत सुंदर लेकिन आज तक तो यह मदद इन बेचारे पीडितो तक नही पहुची, खाने वाले ही अपना पेट भर लेते, है मदद या तो आस पडोस के करते है, या बेचारे खुद ही रो धो कर अपना वक्त गुजार लेते है, कई मर जाते है......
भाटिया जी चावला जी आपके
कमेंट्स आपके जीवन के अनुभवों का
शानदार प्रदर्शन हेjhallevichaaraanusaar we should keep hammering tillcorrupt system is hamstring
We can hammer as much as we want.
FOR GANGA TO BE CLEAN,GANGOTRI HAS TO BE CLEAN.
yes we should and by the grace of god we will.
it is good opportunity for politicians
how do u think that they will not do politics in name of criss than collect money from everywhere and eat it. in association with bureaucrats
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