गुरु नानक देव जी की ५३९ वें प्रगटोत्सव
पर भी आज अमृत बेला मैं धुंध का प्रकोप सभी तरफ़ था मानो गुरु नानक जी के अवतार धारण करने की लीला मैं व्यवधान डालने आया हो लेकिन नानक के आगमन की बेला धुंधमिटने लगी और लोग कहते नज़र आए धन हुए हुए कठोतीमिटी धुंध जग चान्न्होवा
इन्ही चमत्कारों की हर साल पुनरावृति होने पर ही गुरु नानक जी द्वारा चलाया गया निर्मल पंथ की विचारधारा का सिक्का आज भी चलता है और उसकी कीमत भी लगातार बर रही है मारिया सिक्का जगत विच नानक निर्मल पंथ चलाया इसी मूल्यावान सिक्के की बदोलत नानक नाम लेवा संगतमहज़ ५०० सालों मैं ही, आज पूरे संसार मैं ,अपने धरम को ५ वे स्थान पर ले आई है नानक नाम लेवा संगत विगत कई दिनों से इस प्रगोत्सवकी त्यारियों मैं जुरी है अमृत बेला मैं कोहरे और धुंध छाए मार्गों पर नगर कीर्तन निकाल कर गुरु के आगमन की सूचना दे रहे हैं, निराकार सर्वव्यापक ईश्वरके अस्तित्व पर भरोसा रखने को कह रहे हैं एक ओंकार सत नाम कर्तापुरख निरभौ निर्वैर अकाल मूर्ति अजूनि सैभ्म गुरुपर्सादी अमृत बेला मैं जब नगर कीर्तन निकलता है तो नज़दीक की मस्जिद से अजान होती है दूसरी दिशा मैं स्थित चर्च का घंटा बजता है तो श्री श्री राम के भक्त जन श्री राम का गुन गान करते हुए मार्गों पर कार्तिक माह के महत्व को रोशन करते हैं बेशक ये सभी अपने अपने धर्मो का गुन गान करते मगर ये सभी कहीं ना कहीं एक ईश्वर की थेओरी को जरूर मानते हैं आज सभी तरफ़ धार्मिक कट्टरता के विरुद्ध आवाज़ उठ रही है संभवतः निजी लाभ के लिए हो एक दूसरे के धरम की धर्माव्लाम्भियों की आलोचना करने मे ही मशगूल होकर अपने ही धरम के उपदेशों के विरुद्ध जा रहे हैं कट्टरता तो किसी भी प्रकार की हो वेह बुरी ही है इसका त्याग धरम, धरम को मानने वाले, और धरम को मानने वालों के देश के लिए भी लाभकारी होगा गुरु नानक जी के उपदेशानुसार इश्वर का नाम लेते ,कीरत करकेसचाई के साथ वंड खाना ही सबसे बरा धरम पालन है झल्ले विचारानुसार कबीर जी को याद करते हुए करका मनका त्याग कर मनका मनका फेरने की आज बहुत जरूरत है गुरु नानक के उपदेश भी यही संदेश देते हैं गुरु नानक प्रगटोत्सव के पावन पर्व पर नानक नाम लेवा संगत के साथ साथ अन्य धर्माव्लाम्भियों से उनके अपने और देश धरम लिए मनका मनका फेरने की उम्मीद तो की ही जा सकती है
4 comments:
गुरु नानक देव के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा.... आपके लेखनी का एक अलग अंदाज़ है
निजी लाभ के लिए हो एक दूसरे के धरम की धर्माव्लाम्भियों की आलोचना करने मे ही मशगूल होकर अपने ही धरम के उपदेशों के विरुद्ध जा रहे हैं.
Sahi kaha aapne. Swagat apni virasat ko samarpit mere blog par bhi. (ourdharohar.blogspot.com)
आहा झल्ली भाई, आप तो पहली नज़र में ही दिल लेकर भाग लिए वो भी वाहे-गुरु के नाम पर. क्या कहना !
चलिए सच्चे बादशाह की शान में हम मिल कर नज़ीर अक़बराबादी को भी याद करते हैं.
कुछ ऐसे ----
कहते हैं नानक शाह जिन्हें, वे पूरे हैं आगाह गुरू !
वो का़मिल रहबर हैं जग में, यूँ रौशन जैसे माह गुरू !!
अरे वाह गुरू अरे वाह गुरू !!!
---आपका बड़ा आभार के आपने हमें पसंद किया.
' very interetsing and good artical to read about Guru anak jee liked it"
Regards
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