Sunday, November 9, 2008

झल्ली कलम से ९ नवम्बर २००८



एक मेरठी
ओये झल्येया यह कया हो रहा है हसाडे सोणे मेरठ को किस बद नज़र की नज़र लग गई है आपने लिखा भी था की कचरे की समस्या नहीं सुलझाई गई तो अगला दंगा कचरे को लेकर ही होगा अब कचरा बीनने वालोंके कचरे से सेना के बोंब फूटने लग गए हैं बेचारेखाना बदोश , निर्दोष मृत्यु का ग्रास बन रहे हैं सुना है की कई बोंब फूटने से बच गएऔर उनका लोकेसन का किस्सी को इल्म नही है मगर इस दिशा मैं लोकल प्रशाशन और सेना एक दूसरे के पाले मैं ही आरोपों को डाल रहे हैं लगता है की मेरठ कचरे के बारूद के ढेर पर बैठा है यदि इस पर भी हुकुमरानों की नींद नहीं टूटी तो कचरे
के ढेर पर बैठे मेरठ की राम राम के लिए केवल एक चोट की जरूरत होगी


झल्ला


ओ भोले बादशाओ जो हुकुमरान गैर कानूनी ढंग से रहने वालों को पकरने keस्थान पर उन्हें मुआवजाbb देकर अपना pallu झारना चाहता हो रासन कार्ड बनवा कर ,बैंक अच्कोउन्ट्स खुलवा कर इल्लीगल को लीगल बनाने वाले नेताओं और उन्हुकमारानों से कोई उम्मीद करना व्यर्थ होगा बहादुरी के सितारों से सज्जी सेना की वर्दी पर भी यह बदनुमा दाग ही है मौजूदा परिवर्तन की हवा से लगने लगा हे की अब सेना के बहादुरी, देश सेवा के मेडल्स और आरोपों मैं कोम्पेतीसन हो रहा है इसी लिए अब सेना को स्थानीयों की मदद से कम से कम इस दाग को तो धोना ही होगा राजा पोरस के वंशज ब्रिगादिएर चड्डा से यह उम्मीद तो की ही जा सकती है

1 comment:

Arvind Gaurav said...

aapne bahut hi accha vishay chuna hai....
युवा जोश