Saturday, March 10, 2012

अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे।

उत्तर प्रदेश की पीढ़ियों में हस्तान्त्र्ण निश्चित हो गया है ।अपने पापा मुलायम सिंह यादव की [ पंक्चर्ड] साइकिल सवार उनके ३८  वर्षीय ज्येष्ठ पुत्र अखिलेश  यादव को   सबसे युवा मुख्यमंत्री  पद की शपथ ग्रहण करने का न्यौता मिल गया है। बीते दिन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने एक गुलदस्ता भेंट करके प्रदेश राज्यपाल को अपनी पार्टी की जीत की सूचना दी थी तो आज उसी सम्मान प्रतीक  गुलदस्ता भेंट करके उसी  महामहिम राज्यपाल ने १०=०३=२०१२ को सरकार बनाने के लिए प्रदेश के इस नए युवराज को न्यौता दे दिया।१५-०३=२०१२ को शपथ ग्रहण होगा।और अखिलेश प्रदेश में सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे।और उनके सामने होंगी अनेकों पुराणी बुजुर्ग समस्याएं ।यह समस्याएं  पूर्व के ३३ मुख्य्मन्त्रिओन के कार्यकाल से जमा होती आ रहे हैं
   पारिवारिक रिश्तों से चाचा  शिवपाल यादव और पार्टी रिश्तों से चाचा  मोहम्मद आज़म खान के  राजनितिक अनुभवों से मजबूत हुए  कंधों पर सवार होकर राज्यपाल के पास पहुंचे युवा अखिलेश के सामने  अनेक बुजुर्ग समस्याएं हैं।जिन्हें सुलझाए बिना ना तो विरासत को सम्भाला जा सकता है और नाही २०१४  में संसद के लिए  महासंग्राम  ही नहीं लड़ा जा सकेगा।[१]अपराध][११]भ्रस्ताचार[१११]बेरोजगारी[११११]विकास[१११११]वरिष्ठों से सामंजस्य][११११११]अपेक्षाएं,आकांक्षाएं
 [१११११११]केंद्र सरकार से सामंजस्य[११११११११]बिज़ली[१११११११११][११११११११११]शिक्षा में असंतुलन [१११११११११११]तीसरे राजनितिक मौर्चा के लिए अपेक्षाएं  ।
     सबसे बड़ी तो चुनावी घोषनाओं के लिए अरबों रुपयों की व्यवस्था ।कहते हैं की पूत के पावन पालने में ही नज़र आ जाते हैं सो अखिलेश के लिए पालना केवल २०१४ तक ही है सो २०१४  संसद के लिए  होने वाले चुनावों तक कुछ रिपीट कुछ करके दिखाना जरूरी होगा।
     तीसरी बार सांसद बने अखिलेश  ने  राजनितिक परिपक्वता का परिचय देते हुए  पहला सटीक +सधा ब्यान जारी किया है
[१] प्रदेश के विकास के लिए कार्य करेंगे
[२]ला एंड आर्डर को सख्ती से लागू करेंगे
[3]सबको साथ लेकर कार्य करेंगे
[4]बदले की भावना से काम नहीं होगा
[5]चुनावी घोषणाओं को पूरा किया जाएगा।
    अब इन वादों को पूरा करने को केवल  पांच साल का समय ही है सो अभी से काम जरूरी है।
बेशक  यादव और मुस्लिम आधार पर ९७[२००७] सीटों वाली सपा  ने अब २०१२ के सात चरणों में ७० जिलों में ११०६४ पोलिंग स्टेशनों  पर आये ११३५४९३५० वोटरों के भरोसे पर भी खरा उतरना है।बेशक ४०३ सीटों में से केवल २२४ सीते ही मिली है मगर इसके साथ राज्य सभा की ०५ और लोक सभा की २२ सीटों  के भरोसे पर खरा उतरना होगा।
   कहा जा रहा है की ६६००० करोड़ के  घाटे के साथ सत्ता लेकर अरबों रुपये के खर्च वाले लेपटाप+टेबलेट+बेरोजगार भत्ता+ मुफ्त पानी +कर्ज़ माफी आदि घोषणाओं को कैसा पूरा किया जा सकेगा
  मेरे विचार से केंद्र सरकार से प्राप्त होने वाले धन का सदुपयोग+ खेती +शिक्षा को बढ़ावा+ जमीन का सही बंटवारा और अपराधों पर रोकथाम से उद्योगों को आकर्षित किया जाना जरूरी है।इस सब से पहले और सबसे जरूरी पूर्व सरकार के प्रति बदले की भावना से का करके अपना ध्यान विकास के कार्यों से भटकाने से बचना होगा ।
  कहा गया है  झाडी में पड़े दो से हाथ में आये एक से ही गुज़ारा अच्छा होता है मगर अखिलेश के लिए  यूपी की सत्ता तो हाथ में हे ही इसके साथ केंद्र की २२+५ सीट किसी झाडी में नहीं  है इसके  आधार पर विदेशी पूंजी के अतिक्रमण से बचाते हुए  केंद्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा यौजनाएं लाई जा सकती हैं।क्योंकि लेपटाप  और क़र्ज़ माफी के लिए केंद्र की मदद जरूरी होगी वरना साउथ की जय ललिता की तरह लेपटाप की यौजना  बदइन्तजामी की सुनामी में बह जायेगी 
   
   


      

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