Tuesday, March 6, 2012

भैया अखिलेश यादव आपने जो लैपटाप देने का वायदा किया है उसे पूरा करने के लिए अभे आर्डर दे दीजिये

बेशक आज मंगल गृह और चाँद पर जाने को अति आधुनिक राकेट बनाए जा रहे हों ।१ लीटर  में १०० किलो मीटर चलने वाली गाडी बनाई जा रही हो।या फिर फुर से सट से खट से  बगल से निकल जाने वाली बाईक का ज़माना आ गया हो मगर हसाडा उत्तर प्रदेश उलटे बांस बरेली की कहावत को चरितार्थ  करते हुए साइकल को विकास की धुरी  मान रहा है शायद इसीलिए भारत को चमकाने या फिर देश को नई सदी या फिर मूर्तियों के युग में ले जाने के सभी दावों को दरकिनार करके  इन चुनावों में मुलायम सिंह यादव को रुस्तमे उत्तर प्रदेश बना दिया गया है।
    ४०३ सीटों वाली विधान सभा में २००७ की ९७ सीटों को करिश्माई २०२ से भी अधिक  २२४ सीटों में तब्दील करके पूर्व  पहलवान मुलायम सिंह यादव ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया और प्रदेश  की राजनीति में अपना लाल लंगोट घुमा दिया है।
अब इनके चुनाव चिन्ह साइकल को चलाने के लिए कांग्रेस के गढ़ राय बरेली या अमेठी तक में हाथ या फिर  साइकल को डेकोरेट करने को भाजपा के गढ़  में भी  कमल  जरुरी नहीं  रह गया और बसपा का हाथी तो बेचारा साईकल के आगे  अपनी सूंड तक नहीं उठा पाया ।मेरठ जिले में बसपाई सिपहसालार अपने हाथी के लिए थोड़ी बहुत खुराक तक मुहय्या नहीं  बचा पाए ।
   वैसे अब कहा जा सकता है की प्रदेश में माया सरकार के हाथियों की माया नहीं चली\केंद्र सरकार की कांग्रेसी नीतियाँ कोई विस्फोट नहीं  कर पाई या फिर या फिर भाजपा  भी कोई अपनी शाइनिंग नहीं दिखा पाई\मगर एक बात स्पष्ट है की जिस प्रकार इमरजेंसी के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी को पुनः सत्ता में लाने के लिए उनके पुत्र संजय गाँधी[अब स्वर्गीय]ने अहम् भूमिका निभाई थी ठीक उसी प्रकार मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव ने  प्रदेश की सियासत में अंडर करंट पैदा करके २०१२ के चुनावी दंगल में से अपने धुर्र विरोधी बसपा को अखाड़े से बाहर धकेल दिया है\
   अब  छौटे कद के बावजूद मुलायम सिंह  स्वाभाविक रूप से  देश के सबसे बड़े मुख्यमंत्री बनेंगे ।मगर इस्सके बावजूद उनके विदेश रिटर्न पुत्र अखिलेश यादव से उम्मीदें ज्यादा हैं।चूँकि अखिलेश ने अपने समकालीन सभी युवराजों पर बढ़त  हासिल की है सो उनसे स्वाभाविक उम्मीदें  भी ज्यादा है।मसलन
।[१]अपने रिश्ते नातों पर नियन्त्रण+अपराधों पर कंट्रोल
 [२]इमरजेंसी के बाद जनता सरकार की श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध की गई बेवकूफियों की  मायावती के विरुद्ध पुनरावर्ती की रोक थाम।इमरजेंसी के बाद आये दिन  श्रीमती इंदिरा के विरुद्ध आयोग +कमीशन +जांच बिठाने की घोशनाएँ  करके उन्हें स्वत  ही पुनः लोक प्रिय बना कर सत्ता में ला दिया  दिया था
 [३] किसी  सी बी आई दबाब से निर्णय लेने से गुरेज़
[४] आर्थिक +सामाजिक +राजनितिक अपराध के ग्राफ  की उड़ान पर रोक
[५]और भैया आपने जो लैपटाप देने का वायदा किया है उसे पूरा करने के लिए अभे आर्डर दे दीजिये ।क्या कहा ६६००० करोड़ रुपयों की जरूरत होगी ।तोफिर  कया हुआ  जमीन बेचो ।पार्क बेचो ।बेचो ढेरों संस्थान क्योंकि जबसे आप की जीत की खबर उडी है एम्प्लोय्मेंट एक्सचेंज में बेरोजगारों की लम्बी लाईने लगानी शुरू हो गई है
इसीलिए कहा भी गया है कि काल करे सो आज  कर आज करे सो अब पल में हाथ  कमल या हाथी जी उठा तो????????????बहुरे करोगे कब    

2 comments:

Bharat Swabhiman Dal said...

अखिलेश भाई द्वारा चुनाव जीतने के लिए की गई मेहनत काबिले तारिफ है , लेकिन अब उन्हें साम्प्रदायिक तुष्टिकरण की नीति से उपर उठ कर उस हिन्दू समाज के हित में भी कुछ ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता है , जिसने उन्हें इस मुकाम पर पहुँचाया ।
www.vishwajeetsingh1008.blogspot.com

jamos jhalla said...

विश्वजीत जी सपाई युवराज अखिलेश यादव ने राजनितिक पालने में अपने पावँ धिकाने शुरू भी कर दिए हैं |अपराध और भ्रटाचार के विरुद्ध चेतावनी के साथ ही उन्होंने सरकारी सम्पत्ति के उचित उपयोग की बात भी उछाल दी है|