Sunday, July 10, 2011

भ्र्स्ताचार की सुनामी में यू पी ए की नैय्या को यूपी की सत्ता तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी मौजूदा गाँधी के युवा कंधों पर

कांग्रेसी राहुल गाँधी की कल हुई अलीगढ़ में किसान महापंचायत के नतीजे कुछ भी निकलें मगर किसानों को एक जूट कराने के इस प्रयास से एक बार फिर पुराने +ऐतिहासिक+सदैव प्रेरणास्रोत मोहन दास करम चंद गाँधी के इस दिशा में किए गए प्रयास याद आ गए|
सबसे पहले यहाँ एक बात क्लियर करना जरूरी है की यहाँ अमर गाँधी और अमर होने के इच्छुक वर्तमान गाँधी में तुलना नहीं वरन केवल प्रेरणा की बात करना चाहता हूँ |
मोहन दास करम चंद जब विलायत से वकालत की डिग्री लेकर वाया अफ़्रीका भारत आए तो उन्हें तत्कालीन शासकों के विरुद्ध धर्म युद्ध का बिगुल बजाने को Divided देश वासिओ को एक जूट करना आवश्यक लगा |इसके लिए उन्होंने कई नए प्रयोग भी किए उनमें से एक नमक तोरो आंदोलन भी था
वर्तमान भ्र्स्ताचार की सुनामी में यू पी ए की नैय्या को यूपी की सत्ता तक सही सलामत पहुँचाने की ज़िम्मेदारी मौजूदा गाँधी के युवा कंधों पर है इस संकल्प को पूरा करने को आज फिर अपने पुराने किसान+ देहात वोटबैंकको एकजुट करके उनका समर्थन लेना जरूरी समझा जा रहा है जिसकी प्राप्ति के लिए एक एक कदम चलते हुए अलीगढ़ में किसान महापंचायत करके कृषि भूमि अधिग्रहण की मौजूदा नीति के विरुद्ध नारा बुलंद किया गया
यह दीगर बात है की बारिश के कारण वहां अपेक्षित भीड़ नहीं जुटी मगर फिर भी क्लियर संदेश गया
[1]चुने हुवे 11 किसानों में अधिकांश ने आशानुसार भूमि अधिग्रहण के विरुद्ध ही आवाज़ उठाई
[2]राहुल को खेतों का हल+बैलों की जोरी+हुक्का आदि मोमेंतो के रुप में दिए गए
हुक्का तो देहातों में फेमस हे ही मगर किसान हल और बैलों की जोरी काँग्रेस [Golden Era]का पुराना चुनाव चिन्ह भी रहा है मीडिया ने भी इसे हाथों हाथ लिया और विश्वभर में काँग्रेस की भावी रणनीति गूँज गई
प्रदेश सरकार ने इस पंचायत के प्रति विशेष सावधानी बरती अंग्रेजों ने गाँधी जी के नमक तोरो आंदोलन को ज्यादा तव्व्जोह नहीं दी थी सो वह जन आंदोलन बन गया इधर काँग्रेस ने बाबा रामदेव के अनशन की हवा निकालने को पोलिस का इस्तेमाल करके ख्वाह्मखाह अप्यश कमाया |माया सरकार ने ये दोनों काम ही नहीं किए ना तो महापंचायत के प्रति उदासीनता ही दिखाई और ना ही क़ानून व्यवस्था के नाम पर बल प्रयोग ही किया उलटे महापंचायत में लाखों की भीड़ के कांग्रेसी दावे को महज कुछ हजारों की कांग्रेसिओ की भीड़ कह कर उसकी हवा निकालने का काम ही किया |इस सबके बावजूद राहुल गाँधी को लगता है की एक राह मिल ही गई है

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