प्रदेश के विकास के लिए केंद्र सरकार खरबों+प्रदेश सरकार अरबों और मेरठ विकास परिषद् करोड़ों रुपये लुटा रहे हैं हर तरफ काम होता भी दिखाई दे रहा है |इसकी जानकारी मीडिया में करोड़ों रुपये के विज्ञापनों को देख कर हो जाती है ||प्रदेश सरकार ने भी अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन छपवा कर अपनी सत्ता के चार साल पूरे होने पर अपनी उपलब्धिओं और प्रतिब्ध्ताओं की जान कारी करा दी है |जिन लोगों को यह माध्यम पसंद नहीं आता उनके लिए काम के दौरान ट्रेफिक जाम विकास की कहानी सुनाते रहते हैं|जाहिर है ऐसे में स्वाभविक रूप से काम कम और जाम ज्यादा दिखाई देता है |
देखने में आया है की नए निर्माणों की होड़ में निर्मित स्थलों के रखरखाव की किसी को सुध नहीं रहती |ऐसे में नए विकास के किले जीतने में सफलता प्राप्त करने पर भी पुराने विकसित किलों का रखरखाव नहीं होता और वह ढहने लगते हैं|ऐसा शायद रखरखाव में अरुचि*धनाभाव *या फिर सुपरविसन की कमी हो सकती है |सरकार बदलने पर अर्धविकसित भी यथास्थिति को अभिशप्त रहते हैं|
मेरठ के गंगानगर में मुलायम सरकार ने भव्य पार्क बनवा कर अपने शिलापट्ट लगवा लिए अब माया सरकार ने यहाँ बिना शिलापट्ट के ही अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए इन्ही पार्कों का सराहनीय *दर्शनीय *माइंड ब्लोइंग * सोंद्रीयकरण किया |इनमे ड्रीम मूर्तियाँ हैं* झूले हैं * उपयोगी सन्देश हैं*फव्वारा है*वाटर फाल भी है मगर फव्वारा और वाटर फाल चलते हुए शायद ही किसी ने देखे हों|कहने को यहाँ देखभाल के लिए सहायकों की फौज है पैसे की भी कोई कमी नहीं है फिर भी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह है|सूत्रों की माने तो यहाँ फव्वारे के ८० नोज़ल्स चोरी हो गए हैं इनकी कीमत मात्र १५० प्रति बताई गई है |वाटर फाल का पाइप नहीं है | कभीकबार दूसरे पार्क से पाइप ला कर वाटर फाल में लगाया जाता है तब पहले वाला पार्क पाइप से महरूम रखा जाता है |सुरक्षा कर्मियों की माने तो नोज़ल्स की चोरी के लिए सुरक्षा कर्मियों से तीन तीन महीने की तनख्वाह काट ली गई है|मगर अभी तक फव्वारे सूने ही हैं|चोरों को पकड़ने की जहमत उठाने के बजाये निरीह कर्मचारिओं की तनख्वाह काटना सबसे आसान उपाय है |
अपने ही दागी विधायकों [अंसारी*तिवारी*शर्माको] गिरफ्तार करके अपनी रीड की मजबूती दिखाने वाली सरकार स्थानीय स्तर पर छोटे मोटे अपराधों पर अंकुश लगाने में कितनी दिलचस्पी दिखा रही है यह इस पार्क की घटना से साफ जाहिर हो रही है |चोरी के लिए ज़िम्मेदार चोरों को पकड़ने के बजाये गरीब ३०००|=रुपये मासिक पाने वाले कर्मिओं की तीन महीने की तनख्वाह काटने में कोई गुरेज़ नहीं किया |भू अधिग्रहण के पश्चात उद्देश्य की प्राप्ति में विलम्भ के दोष का दंश झेल रही व्यवस्था यहाँ भी कर्मिओं से तीन महीने की तनख्वाह काटने के बावजूद उस धनराशि से उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर पाई है |
1 comment:
bahut khub likha hai
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