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बाल कल्याण के लिए जवाहरी सपनों को साकार करने को सरकारों के प्रयास जारी हैं १४ नवम्बर को करोड़ों रुपयों के विज्ञापन दे दिए गए हैंमगर आज भी बच्चों की हालत देख कर सरकारी प्रयास रेगिस्तान में मृग तृष्णा ही लग रहे हैंसयुंक्त राष्ट्रों का बाल दिवस २० को है वोह भी देखेंगे तभी हम लोग पानी बचाओ+बिजली बचाओ
देश के पहले पी एम् जवाहर लाल नेहरु को बच्चों से बहुत प्यार था और बाल कल्याण को समर्पित भी थे इसी कारण उनके जन्म दिन [१४-११]को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है| बच्चों के कल्याण के लिए देश और विदेश के खजाने खुले हैं कांग्रेस सरकारों द्वारा इस दिन नेहरू जी को याद किया जाता हे और बच्चों के कल्याण को अपना समर्पण भाव बिना किसी कोताही के प्रगट किया जाता है \लेकिन दुर्भाग्य से बाल दिवस पर मीडिया में नेहरू जी के बड़े बड़े पोस्टर छपवा कर ही इतिश्री कर ली जाती है स्कूलों में खेल कूद [यदि स्कूल में पर्याप्त स्थान हुआ तो]कराये जाते हैं मगर ये सब चमक के पीछे बच्चों की सर्वांगी दुर्दशा कहीं छुप कर रह जाती है और बाल कल्याण के सभी दावे एक मृगतृष्णा ही दिखाई देती है कहा गया है की साठा सो पाठा ६ दशक पुराने इस देश का प्रवेश नई सदी में हो चुका है और नई सदी के भी दूसरे दशक में प्रवेश की तैयारी है | बाल कल्याण के लिए शिक्षा का अधिकार को भी कानून की शक्ल दे दी गई है बाल श्रम को गैर कानूनी घोषित किया जा चुका है शिक्षण संस्थानों में खेल कूद को आवश्यक बनाया जा रहा है मगर इस सब के बावजूद भी इन्हें लागू करने की इच्हा शक्ति का अभाव नज़र आता है निर्धन को आज भी शिक्षा की दरकार है धनिक को केवल डिग्री चाहिए हाँ मध्य वर्गी जरूर अपने बलबूते हाथ पावँ मार रहा है इसीलिए यह कहना अनुचित नहीं होगा की सभी सरकारी दावे[सुधार+आकंडे ] मृग तृष्णा ही नज़र आते हैं
3 comments:
its bal kalyan really
they do the kalyan of their own bal
मान्यवर
नमस्कार
बहुत अच्छा
मेरे बधाई स्वीकारें
साभार
अवनीश सिंह चौहान
पूर्वाभास http://poorvabhas.blogspot.com/
they are making fool to general public
and still we select them again and again
lots of this bal kalyan money is eaten by corrupt peoples
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