Sunday, September 19, 2010

र्त आतंक वादी का कोई मज़हब नहीं हैं सभी धर्मों के अनुयायिओं को इनके विरुद्ध कमर कसनी जरूरी हो गई है

दिल्ली की जामा मस्जिद के बाहर कल  फायरिंग और फिर धमाका हुआ दो विदेशी सैलानी जख्मी हुए ये ताड़ था और इसे मीडिया ने ताड़ की तरह ही पेश किया मगर सरकारी हलकों में वोही पुराणी जुंबिश   जरूर हुईइंडियन मुजाहिद्दीन ने इसे बटला हाउस गोली काण्ड का बदला बता कर आतंकवादिओं की निकट भविष्य में  मंशा को जाहिर कर दिया  कहने का तात्पर्य हे की सांप मारने का दावा करने वाले कर्णधार सांप को रोकना तो दूर जहर फेलाने के बाद उसे  पकड़ने के लिए लकीर पीट रहे हैं इस  आतंकवादी घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं 
[१]यह आतंकवादी घटना महज़ आतंक फैलाने के लिए थी?
[२]विदेशी पर्यटकों को ही चुना गया?
[३]बटला हाउस का बदला बताया गया ?
[४]कामन वेल्थ गेम्स को प्रभावित करने वाली घटना बताया गया             
              सवाल अनेक हैं मगर उनका जवाब जब तक सरकार देगी तब तक कयास लगाए जाते रहेंगेऔर सरकार से हर स्तर से सवाल पूछें जाते रहेंगे 
[१]बटला हाउस काण्ड  का समर्थन करने वाले नेताओं की जुबान क्यूं बंद है
[२]सुरक्षा के तमाम दावों का क्या हुआ
[३]जामा मस्जिद के खराब सी.सी.टी.वी.क्यूं नहीं बदले गए
[४]समीप के थाना स्टाफ और लोकल इंटेलिजेंस का क्या किया
[५]हमलावरों के पीछे पत्थर ले कर दौड़ने वाले रिक्शा चालक की सुरक्षा का कया किया
            फिर भी इस घटना से एक बात तो साफ़ हो गयी है की ये आतंक फैलाने वाले अपने मकसद के लिए अपने खुद के धर्म स्थलों को भी निशाना बनाने से गुरेज़ नहीं करते अर्थार्त आतंक वादी का कोई मज़हब नहीं हैं सभी धर्मों के अनुयायिओं को इनके विरुद्ध कमर कसनी जरूरी हो गई है             

1 comment:

sm said...

they just want to make money easy money.