Monday, May 10, 2010

१८५७ के शहीदों और क्रन्तिकारिओन को सच्ची [१५३साल बाद ही सही]श्रधान्जली

१० मई १८५७ के क्रन्तिकारिओन को शत शत नमन| इनकी याद में आज १५३ साल बाद भी मेरठ में जलसे हुए +श्रधान्ज्लियाँ दी गई+बड़े आयोजन हुए|कहा  गया है की शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का येही बाकी निशान होगा| वर्षों पहले का यह  कहना आज शायद ठीक ही लग रहा है|१० मई १८५७ को हमारे जांबाजों ने अंग्रेजों की हकुमत के खिलाफ आजादी की पहली जंग का एलान किया था|पहली चिंगारी प्रज्वलित की थी|आजादी का पहला बीज बोया था|इसी बीज  से फूटे व्रक्ष से ही आजादी के मीठे फल नसीब हुए|
            हम लोग आज़ादी के मीठे फल खाने में इतने मशगूल हो गए की हमें यह एहसास ही नहीं रहा की बेशक आज अँगरेज़ यहाँ से विदा हो गए हों मगर उनकी अंग्रेज़ी+शिक्षा पद्दति की हकुमत आज भी हम पर कायम है|
           आज कल  आज़ादी के ये फल कुछ ज्यादा ही खाए जा रहे हैं इसी लिए इनकी कीमत का एहसास नहीं हो पा रहा| शायद येहीकारण है की आज़ादी को हम सही मायनों में संजो कर नहीं रख रहे इस दिशा में कुछ लोग  इसे आधा भरा और आधा खाली ग्लास कह सकते हैं मगर यह सत्य हे की बेशक आज अँगरेज़ दूर हो गए हों मगर अंग्रेज़ी हमारे खून में समा गयी है किसी नशेड़ी की भाँती हम इसके गुलाम बन कर रह गए है| इसी लिए  हम लार्ड मेकाले की शिक्षा पद्दति को बदलना  नहीं चाहते |बस बाई हुक या क्रुक डिग्री लेना चाहते हैं|          
         आधे साल तक किसी ना किसी कारण से छुट्टियां + हड़ताल+असंतोष[टीचर*छात्र*अविभावक]के  अलावा महीनो उबाऊ परीक्षा कार्यक्रम और उसके बाद नौकरी के लिए जद्दोजहद से आक्रोश बड़ना स्वाभाविक ही है 
       हाल ही में कराई गई परीक्षाओं में यह देखा गया है की नक़ल+हेराफेरी+पेपरलीक +मार्किंग में गड़बड़+ड्राप आउट की भरमार रही मगर रोज़गार परक पोलिटेक्निक जैसी परीक्षाओं में बीते सालों के ७५%आंकड़ों से अब की बार ९५% ने परीक्षाये शान्ति से दी इस से सबक लेते हुए शिक्षा के कर्णधार  यदि जन भावनाओं के अनुरूप देश हित में क्रांतिकारी कदम उठा कर लार्ड मेकाले को बाय बाय और समाज+रोज़गार परक शिक्षा का बीज रोपते हैं तो यह १८५७ के शहीदों और क्रन्तिकारिओन को सच्ची [१५३साल बाद ही सही]श्रधान्जली होगी|

6 comments:

राज भाटिय़ा said...

जिस दिन अग्रेजी इस देश के सरकारी कामो से निकले गी उस दिन हम सच मै आजाद होंगे, सभी शहीदो को श्रधान्जली

sm said...

thoughtful article

कडुवासच said...

...प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!

Urmi said...

बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रूप से प्रस्तुत किया है! मैं सभी शहीदों को श्रधांजलि अर्पित करती हूँ!

हरकीरत ' हीर' said...

हाल ही में कराई गई परीक्षाओं में यह देखा गया है की नक़ल+हेराफेरी+पेपरलीक +मार्किंग में गड़बड़+ड्राप आउट की भरमार रही मगर रोज़गार परक पोलिटेक्निक जैसी परीक्षाओं में बीते सालों के ७५%आंकड़ों से अब की बार ९५% ने परीक्षाये शान्ति से दी इस से सबक लेते हुए शिक्षा के कर्णधार यदि जन भावनाओं के अनुरूप देश हित में क्रांतिकारी कदम उठा कर लार्ड मेकाले को बाय बाय और समाज+रोज़गार परक शिक्षा का बीज रोपते हैं तो यह १८५७ के शहीदों और क्रन्तिकारिओन को सच्ची [१५३साल बाद ही सही]श्रधान्जली होगी.....

दुरुस्त ......!!

अरुणेश मिश्र said...

प्रशंसनीय ।