आज देश भर में आर्थिक+ सामाजिक + राजनितिक+[चोरी चकारी+मर्डर+बलात्कार+फ्राड+]आदि अपराधों की मानो बाड़ ही आयी हुई है|आर्थिक अपराध तो अब करोड़ों में होने लगे हैं|ऐसे अपराध केवल स्थानीय स्तर पर होते हों ऐसा भी नहीं है इंटर सिटी+ डिस्ट्रिक्ट +स्टेट +नेशनल स्तर पर पहुच चुके हैं|दुर्भाग्य से एक राज्य के अपराधी दूसरे इलाके में अपराध करके बच जाते हैं|ऐसे में अपराधियों की केन्द्रिय्क्र्तजानकारी का होना बेहद जरूरी हो गया है|दुर्भाग्य से राज्य की बात तो छोड़ भी दें यहाँ शहरों में भी आपसी ताल मेल का अभाव है| गावों में हो रहे अपराधों की तो[थानों में] रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती |
बेशक आज डिस्ट्रिक्ट+स्टेट+औररास्ट्रीय स्तर पर क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो हैं मगर ये सभी थानों की रिपोर्ट पर निर्भर हैं| कहने को तो थाणे की जानकारी जिले से राज्य और फिर दिल्ली में पहुचनी जरूरी है मगर थाणे में अगर अपराध दर्ज होगा तभी यह प्रक्रिया पूर्ण हो पायेगी| इस कार्य के लिए कम्पूटर का ज्ञान जरूरी है लेकिन यू.पी. में पोलिस को कम्पूटर या अंग्रेज़ी के नाम से ही बुखार आने लगता है|इसके अलावा मानवशक्ती का भी अभाव आड़े आता है|आई.पी.एस.अधिकारी अपना टाइम निकालने की फिराक में रहते हैं राजनीतिकों को अपनी वोट बैंक से ही फुर्सत नहीं है|आर.टी.आई.[सूचना का अधिकार]से कभी भी कोई भी कैसी भी सूचना माग सकता है उस समय इन्सल्ट से बचने को समय रहते उचित व्यवस्था किया जाना जरूरी हो गया है|गावों और तहसील स्तर से होता हुआ अपराधों का संकलन रास्ट्रीय स्तर तक जाना चाहिए|
थानों में कम्पिउतर युग लाने की कवायद चल पडी है|थानों में झांकने स पहले इन्हें बाहर से देखना जरूरी है बाहरी लुक किसी कबाड़खाने या भंगारखाने का दिखाई देता है|आर.टी.ओ.आदि की पकड़ी गई गाड़ियां भी यहाँ बरसों से लावारिश पडी पडी कबाड़ हो रही हैं|
10 comments:
मेरी जानकारी में ऐसी एक संस्था नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो वर्तमान में है भी , मगर वो कितनी उपयोगी और उन्नत है खासकर अपराध नियंत्रण के परिप्रेक्ष्य में ये देखने वाली बात है ।
अपराध ओर अपराधी तो दो दिन मै ही कान पकड ले अगर नेताओ का हाथ इन के सर पर ना हो
Well said...I agree to this
कोमेंट के लिए झा जी+भाटिया जी+जतिन जी धन्यवाद |झा जी आपने जो सेन्ट्रल ब्यूरो ऑफ़ क्राइम रिपोर्ट की जानकारी दी है|उसके विषय में कहना है की बेशक डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो,स्टेट क्राइम रिपोर्ट ब्यूरोऔर नॅशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो हैं और जान कारी भी मुह्हेया करवा रहें हैं मगर इस झल्ले का यह झाल्ल्यत है की ये सभी थानों से प्राप्त रिपोर्ट्स पर ही आधारित हैं अब साउथ की बात छोड़ दें तो हसाड़े यू.पी.में थानों में ऍफ़.आई.आर.कम्पूटर पर दर्ज करने के स्थान पर [अधिकाँश]सिंपल कागज़ पर ही शिकायत ले ली जाती है|
...प्रभावशाली अभिव्यक्ति .... राष्टीय स्तर पर अपराधों का लेखा-जोखा होना चाहिये तथा प्रदेश स्तरीय सिस्टम को तरमीन कर राष्ट्रीय किया जाना ज्यादा हितकर होगा !!!
आपका सुझाव बहुत अच्छा है। इस तरह के प्रयास से पुलिस और जनता दोनों में अपराध और अपराधियों के प्रति सतर्कता और जागरूकता बढ़ेगी
आपका सुझाव बहुत अच्छा है। इस तरह के प्रयास से पुलिस और जनता दोनों में अपराध और अपराधियों के प्रति सतर्कता और जागरूकता बढ़ेगी
आपने बिल्कुल सही कहा है और मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ! बढ़िया आलेख!
झा जी आपका ध्यान आज के[१३_०५_२०१०]अमर उजालाके प्रष्ट६ के पहले कालम और दैनिक जागरण के प्रष्ट९ के अंतिम कालम [दोनों मेरठ संस्करण ]की और कराना चाहता हूँ|इनमे छपी पोलिस मीटिंग कीएक रिपोर्ट में डीआईजी.अखिल कुमार ने यह स्वीकार किया की शहर में अपराधिओं का कम्पिउतर पर रिकार्ड नहीं हैं| इसीलिए उन्होंने सभी थानों के प्रभारिओं को यह दिशा निर्देश भी दिया की अपराधिओं का ब्यौरा अपने कम्पिउतर पर संग्रह करके इसकी सीडी दूसरे थानों को भी भेजी जाये|इसके साथ ही मेनपावर की कामे का भी रोना रोया गया है|
बबली जी+उदयजी हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद डंडा जी को डबल धन्यवाद
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