यह चिंताजनक हे
मानव संसाधन विकास मंत्री काबिल सिब्बल ने शिक्षा के छेत्र में कई क्रान्ति कारी कदम उठाय हैं लेकिन राज्यों के असहयोग के चलते कहा जा सकता है की दिल्ली अभी बहुत दूर है
उच्च शिक्षा और अनुसन्धान के छेत्र में बेहतरी के लिए रास्ट्रीय परिषद्[एन.सी.एच.ई.आर]के गठन की तैयारी चल रही है
इसके माध्यम से अखिल भारतीय तकनिकी शिक्षा परिषद्+विश्विद्यालय अनुदान आयोग++भारतीय चिकित्सा परिषद्+++कुलपतियों की नियुक्तियों तक को कंट्रोल किया जा सकेगा
इससे शिक्षा के छेत्र में सुधारों की उम्मीद की जा रही है
सबसे पहले उच्च शिक्षा की बात ही करली जाय पंजीक्रत डाक के बजाय कोरियर से भेजने पर सेकड़ों के रिसर्च का ख़्वाब टूट गया
यहमेरठ की सी सी एस यूनिवर्सिटी का हाल है
कुरुक्षेत्र में सेकड़ों ने रिसर्च के लिए आयोजित परीक्षा ही छोड़ दी
इसके अलावा डिग्री कालेज के कई परीक्षात्री नक़ल करते हुए पकडे जा रहे हैं
अब बेसिक शिक्षा की बात की जाय उत्तर प्रदेश में ही नेशनल कौंसिल फार टीचर्स एजुकेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ साक्षरता ओउसत रास्ट्रीय ओउसत से ९%कम है
५%बच्चों का [स्कूलों में]नामांकरण ही नहीं कराया जाता
हज़ारों बस्तिओं में स्कूल ही नहीं हैं
इस पर भी २०११-१२ तक ३९००० [लगभग]शिक्षकों की जरूरत हो जायेगी
वैसे यू.पी.बोर्ड+सी.बी.एस.ई.के छात्रों पर से शिक्षा का तनाव कम करने की लगातार कौशिश की जा रही है इसी कड़ी में ग्रेड सिस्टम लागू कर दिया है
और बच्चों को [जो स्कूल जा रहे हैं]समाज से जोड़ने को भी पाठ्य क्र्म बनाय जा रहे हैं
इसी कड़ी में झ्ल्लेविचारानुसार एम्.ऐ.पास करने के बाद ही रिसर्च किया जा सकता है ऐसे में एक दम नै दिशा [रिसर्च]में स्विच ओवर करने से तमाम [स्वाभाविक
दिक्कते आती है
इसी लिए अगर कक्षा ६ से ही समाज से जोड़ने वाले लघु रिसर्च कार्य की यौजना बनाई जाय तो आगे चल कर रिसर्च करने के इच्छुकों को परेशानी नहीं होगी वरन अधिकाँश को इसके लिए प्रेरणा मिलेगी
1 comment:
...प्रसंशनीय अभिव्यक्ति, वर्तमान शिक्षा प्रणाली में निसंदेह बदलाव की आवश्यकता है!!!
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