घोला रंग करों का कार,सांसदसभी रह गएमलते हाथ
पलक झपकाते बार बार, और मिलाये सभी ने हाथ
दांत भींचे आँखें लाल ,निकले सभी संसद से बाहर
मीडिया में बोले धूआधार,मुलायम लालू और गुरुदास
ममतामायासुषमाहुए लाल ,जनतापार्टी को दिया लिबास
इंकरिमोवर मांगे बारम्बार,मीडिया को मस्लाये माल
हो गए सभी मालममाल,मगर बेचारा झल्ला परेशान हाल
तंगहाल फटेहाल और बेहाल,दिल में रह गए सभी सवाल
में कवि तो नहीं
मगर ऐ प्रणब जी
जब से देखा बजट
आपका मुझको कविता आ गई
3 comments:
होली की आप को ओर आप के परिवार को बहुत बहुत बधाई
...बहुत सुन्दर कविता लिखी है ...बहुत बहुत बधाई !!!
bhatia ji kori ji aap ko bhi holi ki lakh lakh vadhaaiyaan.
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