बेशक इंसान आज चाँद पर घर बनाने के अपने सपने को साकार करने जा रहा है मगर आम इंसान[विशेषकर भारतीय]आज भी चाँद के निवासी देवी देवताओं की मुर्तिओं से अपने धरती के घर सजाता हैये विग्रह मिटटी या प्लास्टिक या फिर मेटल के होते हैंघर की सालाना सफाई+ सजावट पूरी होने पर पुराणी चीजों के साथ मुर्तिओं को भी किनारे रख दिया जाता हैऐसे में इनका खंडित होना स्वाभाविक है
घरों में खंडित हुई मूर्तिओं को घर के बाहर ही डालने या किसी धरमस्थल के द्वार पर डाल आने की प्रथा हैइन्हें देखने वाले इसके कारणों के कई सिरे तलाशते हैंधार्मिक उन्माद भी एक सिरा हो सकता हैइसके साथ ही धार्मिक भावनाओं काखिलवाड़ भी होता हैइसीलिए ऐसे विग्रहों का ससम्मान विदाई आवश्यक है धार्मिक स्थलोंकी समितियां या तो इस कार्य को आपने हाथ में ले नहीं तो गली+ मोहल्ले +कालोनियोंकी समितियाँ आगे आयें
घरों में खंडित हुई मूर्तिओं को घर के बाहर ही डालने या किसी धरमस्थल के द्वार पर डाल आने की प्रथा हैइन्हें देखने वाले इसके कारणों के कई सिरे तलाशते हैंधार्मिक उन्माद भी एक सिरा हो सकता हैइसके साथ ही धार्मिक भावनाओं काखिलवाड़ भी होता हैइसीलिए ऐसे विग्रहों का ससम्मान विदाई आवश्यक है धार्मिक स्थलोंकी समितियां या तो इस कार्य को आपने हाथ में ले नहीं तो गली+ मोहल्ले +कालोनियोंकी समितियाँ आगे आयें
4 comments:
अरे बाबा दो शब्द भी लिख दो, इस मुर्ति के बारे, असल मै है क्या बात??
... सच कहा, सही मायने में खंडित मूर्तियों को धार्मिक आस्थाओं के अनुरूप ससम्मान नदियों मे विसर्जित कर देना उचित जान पडता है !!!!
आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति की शुभकामनायें!
अच्छा लगा आपका पोस्ट! मेरा तो ये मानना है की खंडित मूर्तियों को हमेशा विसर्जित कर देना चाहिए!
आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनायें!
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