Friday, November 13, 2009

बाल दिवस १४ नवम्बर



अपनी जवानी+अधेडावस्था में भारत की आज़ादी के लिए जंग लड़ कर पहले पी.एम्.बनने वाले जवाहर लाल [चाचा]नेहरू के १२०वे जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जारहाहैशिषणसंस्थाओं में फैंसीड्रेस शो हो रहे हैं कुछ संस्थाओं में माह का दूसरा [१४११२००९]शानिवासरिया अवकाश के कारण एक दिन पहले [१३११२००९]ही बाल दिवस मनायागया केन्द्र [विशेषकर]सरकार के मंत्रालयों ने भारी भरकम विग्यापनछपवा कर नेहरू+केन्द्र सरकार के प्रति कृतघ्नता प्रगट की इसके साथ ही मीडिया में आने के... लोभ में भी कई संस्थाओं में भी बाल क्रीडाओं का आयोजन हुआबीते दिन सोणे पी।एम्. ने बच्चोंके समक्ष चिंता व्यक्त करते हुए स्वीकार किया की देश में आज भी शिक्षाछेत्र में नयी सोच को तरजीह नहीं दी जा रही गौरतलब हे की भारतीय स्लम डोगों को अपने ही मुल्क में सम्मान जनक रूप में नोबेल प्राइज़ पाने लायक बना कर देश में लोकतंत्र के संस्थापकों को सच्चे श्रधा सुमन अर्पित करने का समय आ गयाहे

अब शिक्षा में नयी सोच और बाल दिवस में संबध स्थापित किया जाना देश हित में भी जरूरी हो गया है

6 comments:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

bilkul jaroori hai ji...

राज भाटिय़ा said...

जनाब यह नीचे वाला विडियो क्या उन का पुर्ण्जन्म का है? तभी तो बाल सखा उसे देख कर खुश हो रहे है:)

jamos jhalla said...

भाटिया जी राज की बात यह है की
गधर्भ महाराज का बोझ अब स्कूली बच्चों के स्कूल
बैग में गया

BK Chowla, said...

On this Bal Divas-will the Govt ensure that now onwards,every child will get education?

jamos jhalla said...

chowla ji jai mai durge kai aaye te kai tur gaye.

Urmi said...

आपने बहुत ही सुंदर लिखा है! आजकल तो बच्चों को पढ़ाई के आलावा खेलने का भी वक़्त नहीं ! जब उन्हें भाड़ी भरकम किताबों से भड़ी बैग ढोते हुए स्कूल जाते हुए देखती हूँ और उससे भी ज़्यादा तकलीफ होती है ये देखकर की इतने सारे बच्चे एक साथ रिक्शा में सवार होकर जा रहे हैं और रिक्शावाला जो गरीबी से मजबूर है की पढ़ाई करने के लिए पैसे नहीं है ! काश की हमारे देश में कोई अनपढ़ नहीं रहता!