Friday, March 20, 2009

मार्च में खजाना भर जाए तो साल भर परेड क्यूं

आज दुपहर २ बजे मैं रुड़की रोड से केंट स्थित लेखा नगर जा रहा था \ इस भारी भरकम याता यात वाले रोड से आना जाना मुझे कभी पसंद नही रहा मगर आज ना जाने कैसे गाडी का रुख बस ,ट्रक और टेंपो आदि के लिए कुख्यात इस रोड पर आ गया \वैसे जब भी इस मार्ग पर आया हमेशा कोई ना कोई हादसा ,घटना या न्यूज़ जरूर मिली \आज का दिन भी अपवाद नही रहा \लेकिन आज की इस घटना में नाटकीयता ,हास्य ,आश्चर्य और वर्तमान व्यवस्था का वीभत्स रूप भी दिखाई दिया \
लेखा नगर के बाहर स्थित पुराणी रूडकी रोड की चुंगी पर लगे नाके पर कतार में ५ टेंपो खड़े थे \इनमे बैठी सवारियां हलकान थी \लगभग इतने ही पुलिस कर्मी ,जिनमे से एक के कंधों पर पीतल भी था , व्यवस्था बनाने का उपक्रम करते दिखाई दे रहे थे \कंधों पर पीतल टाँगे अधिकारी दबा दब पर्चियां काट रहा था \शायद चालान काटे जा रहे थे \वित्तीय वरस के अन्तिम माह मार्च में खजाना भरने का लख्श्यपूरा किया जा रहा था
इस स्थल से लगभग ३०० कदम की दूरी पर इतने ही टेंपो कतार में खड़े थे इनमे बैठी सवारियां जिनमे बच्चे ,महिलायें और बुजूर्ग किसी अनहोनी की आशंका से तृस्त थे \और टेंपो चालाक दूसरी दिशा से आने वालों से हँसते हुए बतिया रहे थे और महज ३०० कदम पर चल रहे चालान के नाटक के समापन की बाँट देख रहे थे \महज ३०० कदम की दूरी ना तो टेंपो वाले पार कर रहे थे और नाही हथियारबंध पुलिस कर्मी ही टेंपो पकड़ने के लिए ३०० कदम की परेड ही करने के मूड में थे \

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदरलगा आप का यह लेख, बिलकुल सही लिखा आप ने धन्यवाद