Sunday, November 16, 2008

बाल दिवस के बाद भी बच्चों को याद रखो

१४ नवम्बर २००८ को देश के पहले प्रधान मंत्री चाचा नेहरू की ११९ वीं जयंती धूम धाम से मनाई गई फर्स्ट मून इम्पक्ट प्रोब भी उतारा गया इस अवसर पर नन्हे मुन्नों के हस्ते गाते चेहरे दिखाए गए १४ नवम्बर का दिन बच्चों के नाम रहा शिक्षण संस्थाओं ,सामाजिक संघठनों ,कांग्रेस पार्टी आदि द्वारा देश विदेश मैं चाचा नेहरू के बच्चों के प्रति प्रेम का समारोह पूर्वक प्रदर्शन किया गया यह प्रत्येक साल किया जाता है इन समारोहों को देख कर यह लगता है कि बच्चों के कल्याण के लिए चाचा नेहरू के सपनो को साकार करने को सभी प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन एक दिन कि इस चांदनी के बाद फिर स्याही देखना देश की नियति बन गई है बच्चों को बाल मजदूरी मैं झोकना ,उनके हिस्से का बजट चाट जाना ,उनके इलाज मैं लापरवाही ,उनकी डेथ रेट मैं वृधि आदि समाचार पत्रों की सुर्खियाँ बन्ने लगती हैं बाल दिवस के अगले दिन ही ऐसा उदहारण मिला १५ नवम्बर २००८ को ५ बजे मेरठ के एक प्रतिष्ठित निजी नुर्सिंग होम { सुशीला जसवंत राय }मैं एक महिला की नोर्मल सुरक्षित डिलिवरी हुई थोरी देर के पश्चात् ही नवजात को इन्कुबैटर मैं रख दिया गया महज़ १५ मिनट के बाद ही उस इन्कुबैटर मैं आग लग गई और नवजात बुरी तरह से ज़ल गया सरकारी अस्पताल के अलावा निजी नर्सिंग होम भी चाचा नेहरू के लाडलों के स्वास्थ्य के प्रति कितने सज़ग हैं इस एक घटना से दिखायी दे जाता है अगले दिन यह नवजात झुलसे शारीर के कारण परमधाम चला गया Blog Awards Nomineeसूत्रों से ज्ञात हुआ है की पहले सुशीला जसवंत नाम से धर्मार्थ मतेरनिटी हॉस्पिटल था मौजूदा समय मैं इसका एक बरा हिस्सा निजी नुर्सिंग होम मैं तब्दील हो गया है किन्ही कारणों से मतेरनिटी धर्मार्थ अभी भी है और उपरोक्त दुर्घटना यहीं हुई इससे पहले भी इसी महिला का एक और लाल यहीं बदिन्तेजामी की बलि चराया जा चुका है

1 comment:

seema gupta said...

महज़ १५ मिनट के बाद ही उस इन्कुबैटर मैं आग लग गई और नवजात बुरी तरह से ज़ल गया
" uf! read this artical but was not aware that have to bear pain after reading these two lines.... so painful cant imagine such carelessness ......its really height of anything"

Regards