देर आयद दुरूस्त आयद जी हाँ यह पुराणी कहावत अब काम आने लग गई है। हिमाचल प्रदेश की हाई कोर्ट की ग्रीन बेंच ने पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में एक एतिहासिक फैसला दे दिया है।पर्यावरण की हानि 'पहुँचाने वाली [प्रतिष्ठित ]जय प्रकाश [JAY PEE] एसोसिअट पर 100 करोड़ रुपयों का फाईन थोप दिया गया है और सोलन में सीमेंट के [अवैध प्लांट थर्मल प्लांट को] को तत्काल पर्यावरण नाशक घोषित करके उबसे नेस्तेनाबूत किये जाने के आदेश जारी हो गए हैं ।
जय प्रकाश एसोसिअट कोई छोटी मोटी संस्था नहीं है और नाही यह प्लांट ही छोटा है ।इसीलिए इसकी सेंक्शन के लिए भारी भरकम आथोरिटी का उपयोग क किया गया होगा हो सकता है की भारी भरकम डील भी हुई होगी ।अदालत के अनुसार 'प्लांट की कीमत बेहद कम करके बताई गई थी ।इस प्रकार टैक्स भी बचाया गया ।।'प्रदेश में थर्मल प्लांट 'पर पाबंदी है इसके बावजूद भी प्लांट के लिए अनुमति दे दी गई यह अपने आप में चिंता का विषय है।
अब आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस और बी जे पी दोनों ही अदालत के आदेश को सही बता रहे हैं।और घडियाली आंसू बहा रहे हैं।
अब आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस और बी जे पी दोनों ही अदालत के आदेश को सही बता रहे हैं।और घडियाली आंसू बहा रहे हैं।
ऐसे में केवल प्लांट को बंद किये जाने से ही पर्यावरण सुरक्षित नहीं हो पायेगा \इस दिशा में निश्चित अवधि में दोषिओं को सजा और इस कंपनी के विरुद्ध 'पारदर्शी कानूनी कार्यवाही भी जरूरी है
बेशक यह दंड अपने आप में आँखें खोलने वाला है मगर इसके साथ ही बिना देरी के कार्यवाही होती दिखानी भी चाहिए \इसके साथ यह कहना भी उचित ही होगा की अब सोलन के विकास की गति में कमी आयेगी इसीलिए इसके साथ ही अब वहां कोई ना कोई विकल्प की जरूरत भी है ।
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