Tuesday, January 24, 2012


 जूता फिर  चल गया अब की बार राहुल गांधी पर जूता  चल गया ।राहुल विचार चला हो या न चला हो मगर जूता चलाने वाला जरूर चल निकला है फिर से जूता या उसे चलने के कारण के बजाये जूता चलाने वाले की दस पुश्तें तक खबरों में आ रहीं है अगर ज्यादा कुछ हुआ तो उन पर शौध भी कराये जा सकते हैं |उसके बाद तो उनके लिए विपक्षी पार्टी के दरवाजे हमेशा के लिए खुल ही जायेंगे |
पहले यार लोग अपने नेता के समर्थन में जहाज़ तक हाई जेक करलेते थे ।छोटे मोटे छुट भैय्ये पुतला जलाने में महारत हासिल कर लेते थे।अनेकों लोग काले झंडे ही दिखा कर पिट लिया करते थे।और नेता बन जाते थे |लेकिन जब से इरानी इबनबतूता के जूते की चुर निकाल कर फ़िल्मी गीत कार गुले गुलज़ार हुए जा रहे हैं तब से जहाज़+झंडा+पुतला आदि  के बजाये जूते का उपयोग कुछ ज्यादा ही होने लग गया है| हमारे देश में उद्देश्यों के बजाये प्रसिधि पाने को आज कल यत्र तत्र सव्वत्र जूता ही चल रहा है नेता चले ना चले मगर आज कल जूता चल रहा है |कम्पनी या मेकर कोई भी हो मगर जूता होना चाहिए | प्रेस कांफ्रेंस हो या कोई जनसभा| जनसभा किसी भी पार्टी की हो उसमें भाषण चले या ना चले मगर जूता चल ही जाता है |जिस पर जूता चलाया जाता है उसके साथ साथ जूता चलाने वाला भी चल जाता है ये और बात है की जूता बनाने वाली कम्पनी को कोई नहीं पूछता|एलेत्रोनिक्स मीडिया के फलने फूलने से किसी  भी  ऐरे गैरे नत्हू खैरे पर जूता उछाल दो और अगर कोई सेलेब्रेटी हाथ आ जाए तो  फिर तो  पौ बारह |
अब तो खाल खींच कर जूता बनाने की बात तक करना अपराध है।जूते को बगल में लेकर चलने की भी जरूरत नहीं रहीं क्योंकिराज कपूर के जापानी जूते या फिर चीन के बाद अब सुख नाल हमारे सोणे भारत में भी ऐसे जूते बनने लगे हैं और इम्पोर्ट होने लगे हैं  जिन्हें गले में भी डालने की कईयों की इच्छा होती होगी ऐसे में पैर में डालने पर तो जूते के चुर करने का सवाल ही नहीं उठता |अब जूता कैसा भी हो कौन देखता है |वैसे तो आज कल  जनसभा या प्रेस कांफ्रेंस में 
जूता पहन कर जाना जरूरी नहीं रहा ।जूते को पोलिश से चमकाना भी लाजमी नहीं रहा।इसी लिए अपना हो या माँगा हुआ हो जूता होना चाहिए ।बेशक नेता जी जूते के बजाये चप्पल में आयें मगर जूता फ्हैन्कू तो जूता में ही आते हैं।  मीडिया गेलेरी सबसे मुफीद जगह होते है बस किसी तरह घुस जाओ उसके बाद मौका कोई भी हो बस ज़रा झुको एक पैर को उठाओ और जूता निकाल  कर वक्ता+टार्गेट  की तरफ उछाल दो  इसके लिए  सफल या परिपक्व निशाने बाज़ होना भी जरूरी नहीं है।ज्यादा हैमर थ्रो एक्सपर्ट होना भी जरूरी नहीं है जूते को नज़दीक या पास या समीप  उछाल कर ही सिधि प्राप्त हो जाती है।ऐसे  जूता एक्सपर्ट पर शौध तो बनता ही है।

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