Saturday, August 6, 2011

महंगाई कम करने को किये जा रहे सभी उपायों से महंगाई और बढ रही है

हुई महंगी बहुत शराब थोड़ी थोड़ी पीया करो 

शराब होंदी ये खराब या इन्नु पेंदे झल्ले या फिर नवाब 
शराब जब पेट में पहुँचती है तो शरर शरर दीमाग के जरिये जुबान से  शोर शराबा मचा देती है शायद इसीलिए जब भी यह महंगी की जाती है तो कहीं कोई शिकन तक नहीं दिखती | बाज़ार के इसी  फ्हंडे का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब पर शाट   लगाने शुरू कर दिए हैं मगर अबकी बार फौजी शराब पर नज़र टेडी की गई है|फौजी शराब पर दी जा रही एक्स्साईस की छूट को समाप्त करने का निर्णय ले लिया गया है
    फौजियों के ज्यादातर तैनाती   [ सेवा ]अपनो से दूर ही  ली जाती है इस लिए  अधिकाँश  शराब का [अकसर]सहारा लेने को मज़बूर होते हैं मगर आज कल  अखबारों में डिफेन्स की शराब सिविल  में बैचे  जाने के समाचार छपते रहे हैं एक सिपाही से लेकर उच्च अधिकारी तक चिन्हित किये जा चुके हैं यहाँ तक की सेना की सहायक या सहयोगी  सेवाओं में भी फौजी दारू [सस्ती]की क्रेज़ जग जाहिर है|इससे सिविल में शराब बिक्री   और सरकारी खजाने पर असर पड़ना स्वाभाविक ही है अकसर देखने में आता है कि सहायक सेवाओं में  फौजी शराब के लिए कई  जायज या नाजायज हत्कंडे भी अपनाए जाते हैमेरठ में ही कई कर्मी अपने साथिओं से ही महंगे ब्याज पर क़र्ज़  लेकर शराब पीते और पिलाते रहते हैं और अपने परिवार के हकों का हनन करते रहते हैं  
       फ़ौज़िओ को अंग्रेजों के ज़माने से ही सिविल बाज़ार से सस्ती दरों पर दारू मुहय्या कराई जाती रही है कुछ समय पहले तक तो फ्हौज़ियो को सिगरेट और रम [दारू ]भत्ता भी दिया जाता रहा है |पहले भत्ता बंद अब दारू भी बंद |इस बंदी पर चर्चा की जा सकती है और की भी जानी चाहिए सबसे पहले तो आदतन सरकार की नियत पर ही नज़र जाती है सो आज कल प्रदेश में दारू के  सरकारी ठेके एक कंपनी विशेष को ही दिए गए है ठेकों पर प्रिंटेड रेट्स से अधिक वसूली की शिकायतें भी छपती रही है मगर कोई कार्यवाही नहीं हुई ऐसे में फौजी दारू को महँगा किये जाने से सिविल बाज़ार में दारू की मांग और सप्लाई बढेगी ही +अपने को फ़ायदा होगा ही +सरकारी खजाने की कमाई बढेगी ही+इसकी एवेज  में   आम जनता [सिविल]में हाय हल्ला भी नहीं मचेगा |
      दूसरे फौजी दारू से एक्स्साईस की छूट हटाने के इस फ्हंडे से केंद्र सरकार को सबक लेना चाहिए डिसल की सबसे ज्यादा खपत और दुरूपयोग फौज में ही होता है इसीलिए कम से कम पीस पोस्टिंग या तेनाती के समय [फील्ड में नहीं]डिसल की खपत पर कुछ हद तक अंकुश लगाए जाने पर सेना के साथ मिल बैठ कर चर्चा को प्रारम्भ तो किया ही जा सकता है |इससे हो सकता है की डिसल की खपत काम होजाए +इसके लिय दी जारही सब्सिडी का ग्राफ कुछ नीचे  आ जाय |डिसल के लिय दी जा रही विदेशी मुद्रा बचाई जा सके+और आयल प्रोडक्ट कम्पनिओं की मन मानी से बचा जा सके | केंद्र सरकार रोजाना महंगाई कम करने का भरोसा दिलाती रहती है मगर हकीकत में ये सारे वायदे या भरोसे हवाई ही साबित हो रहे हैं   और पुराने  शेर '" मर्ज़ बढ़ता गया
ज्यूं ज्यूं दवा की "को ही अमली जामा पहना रहे हैं ऐसे में एक कदम फौज की तरफ भी बड़ा कर देख लेने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि अभी तक तो  महंगाई कम करने को किये जा रहे सभी उपायों से महंगाई और बढ रही है 

No comments: