Tuesday, April 26, 2011

Communal hazard in Meerut

देश विभाजन को ६ दशक बीत गए इस दौरान दुनिया बदल गई जेनेरेशंस बदल गई| साम्प्रदायिक विभाजन में मिले आर्थिक+ शारीरिक+ के जख्म भरने लगे अपनो से बिछुड़ने का गम समय के थपेड़ों ने कुछ कम कर दिया पुरुषार्थी बिना किसी आरक्षण के अपने पैरों पर खड़े हो गए |मगर २४-०४-२०११ की काली रात ने साप्रदायिक दंगों के इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ कर मानवता को शर्मसार कर दिया|
बेकवर्ड इलाके में भाटिया दम्पति चिकित्सालय चला कर मरीजों को स्वास्थ लाभ पहुचाने का पुन्य [दैविक]काम कर रहे हैं |२४ की रात को भी बेबस बेचारी महिलाओं की प्रसूति करवाने में व्यस्त थीं ऐसे में उन्मादी भीड़ ने में ना केवल मरीजों से मारपीट की वरन इनके चिकित्सालय को तहस नहस कर दिया |बेशक इस दम्पति ने देश विभाजन की विभीषिका नहीं देखि होगी मगर २४ की रात ने उस काले इतिहास को जरूर उनकी आँखों के सामने से चलचित्र की भांति दोहरा दिया |यह पीड़ी तो इस दंश को शायद ही भूल पाए शायद ही आरक्षण का लाभ पा सके शायद ही आर्थिक इमदाद+ मुआवजा +कम्पेंशेशन +क्षतिपूर्ति मिले may not get justice मगर हमारी यह कामना है की अपने जख्मों को भरने के लिए अपने दैविक दायित्व का उजाला फैलाते रहें और यह हमेशा याद रखें की
हमको मिटा सके यह जमाने में दम नहीं ज़माना हमसे हैं जमाने से हम  Naheen  

4 comments:

Everymatter said...

generally a mature, decement family person will not engage in communal riots, he will see the other children as his children and others assets and think on that line how he earned his assets

jamos jhalla said...

Decent one

राज भाटिय़ा said...

ऎसे दंगा करने वालो को गोली मार देनी चाहिये, क्योकि यह दंगा करने वाले आम जनता नही इन नेताओ के पालतू कुते हे

jamos jhalla said...

Thanks Bhatia Ji For Sharing Sentiments