इस आबुलेन के सोदर्य करण के लिए पहले मेयर अरुण जैन [अब स्वर्गीय ] ने इस आबुलेन के ठीक पीछे स्थित आबू नाले [यह नाला छावनी के पानी की निकासी का एक बड़ा माध्यम है]के सोंद्र्य्करण का बीड़ा उठाया था
आबुलेन बाज़ार में स्थानीय व्यापारियों ने अपनी दुकानों के आमने ट्रीगार्ड लगवा कर पौधे भी रोंपे थे
सब एरिया कमांडर ने इस बाज़ार में सेन्ट्रल पार्किंग और अलग चाट बाज़ारबनवा कर ठेलों को व्यवस्थित करने का प्रयास किया मगर ये सभी सुधारक प्रयास सुधारकों के जाते ही उड़नछू हो गए अब ये हालत हैं की छावनी की रक्षक बनी छावनी परिषद् इस बाज़ार में एक और मल्टीप्लेक्स बनाने जा रहा है
बेशक वार्षिक आय के आधे से ज्यादा वेतन+पेंशन पर खर्च करने वाली परिषद् के लिए यह मल्टीप्लेक्स आय का स्रोत हो सकता है यह गैर कानूनी भी नहीं है कोई अतिक्रमण भी नहीं है मगर फिर भी पर्यावरण की द्रष्टि से यह सर्वथा अनुचित हैमानव जीवन की द्रष्टि से अमानवीय है
No comments:
Post a Comment