Friday, August 7, 2009

गुलशन बावरे को जमोस झल्ले की श्रधांजलि

आज सुबह अखबारों में गुलशन बावरा के निधन का समाचार पढा एक झटका सा लगाइतने अच्छे गीत कार और हास्य फिल्मी कलाकार की मौत को चाँद लाइनों में ही निबटा दिया गयादरअसल गुलशन अपने नाम के साथ बावरा लगाते थे और यह नाचीज झल्ला लगाता हेशायद इसीलिए झटका लगाइस अवसर पर मुझे उपकार फ़िल्म याद आ रही हेइसमे एक बसंत पर्व मनाया जा था जिसमे समूह गान में मनोज कुमार ,आशा पारेख,प्रेम चोपडा ,आदि के साथ साथ सुंदर[ गायक और हास्य अभिनेता ]भी अपने दो दो [नमूने]पुत्रों के लिए सौतेली माँ हासिल करने को उछाल कूद करते हुए नमूनों को समझा रहे थे ये नमूने सौतेली माँ के विरूद्व दलीलें दे रहे थे इन नमूनों के रोल में मोहन्चोटीके साथ गुलशन बावरा भी थेइस फ़िल्म में गुलशन ने अपने नाम के अनुरूप ही सबको बावरे पन से हँसाया फ़िल्म की समाप्ति पर सिनेमा घर से बाहर निकलते समयमेरे मित्र ने अजीब सा सवाल कियामेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोतीमेरे देश की धरती गीत कैसा लगाइस गीत के दौरान मित्र ने मेरी सभी भाव भंगिमाएं देख ली थी इसके बावजूद यह सवाल स्वाभाविक अटपटा लगा इससे पहले में कुछ बोलता दूसरा सवाल जानते हो इस हिट गीत को किसने लिखा हे मेरी तरफ़ से कोई उत्तर आता नहीं देख कर स्वयं बोले वोह पतला दुबला सा लड़का [ पावर बचाओ वाटर बचाओ ]
[जो कह रहा था ना ना बापू झूट ना ऐसे बोल हम तो हीरे हें अनमोल हमको भट्टी में ना रोल अपने दिल के संग में ]गुलशन बावरा हे उसी ने यह मशहूर गीत भी लिखा हेइन दो विपरीत प्रतिभाओं को एक ही फ़िल्म में एक हीदुबले पतले आदमी में देख कर वाकई अच्छा लगाइनका लिखा गीत यारी हे ईमान मेरा यार मेरी बंदगी आज भी सुनने को जी करता हे उस दौर में यह भी सुनने को मिलता था की शरणार्थी के रूप में भारत आए गुलशन के गीतों को उस समय के मशहूर गीत कार अपना नाम देते थे ज्यादा कमाते थे और थोडा इन्हे दे देते थेएक बावरे को झल्ले की शब्दांजलि

3 comments:

jamos jhalla said...

gulshan baavraa ke prati apni bhaavnaayen yahaaan prakat kijiye.

BK Chowla, said...

I had a chance of meeting Gulshan with Manoj Kumar.He was a very simple man and down to earth.May his soul rest in peace

Hari Shanker Rarhi said...

आपका बहुत बहुत धन्यवाद और बधाइयां .