[१] पाकिस्तान से चल रही कुट्टी अप्पा में बदल तो जायेगी मगर इसका लाभ पाकिस्तान को ही होगा यह उसकी कूटनीतिक विजय होगी.ऐसी ही एक हार का सामना लाल बहादुर शास्त्री जी को भी रूस में करना पडा था।
[२] अमर उजाला के प्रथम पेज पर शशि शेखर और चिर व्यावसायिक प्रतिद्वंधी दैनिक जागरण के संपादकीय पेज पर ब्रह्मा चेलानी दोनों को ही आश्चर्यजनक रूप से भारत के लिए निवेश के नए अवसर दिखायी दे रहे है.इन्हे ये नही भूलना चाहिए कि बीते अन्तिम दशक में यूं .एस.एस.आर.के विस्मयकारी विघ्ठन से पूर्व वहाँ निवेश किया गया भारतीयों का पैसा डूब गया जिसकी वापसी के लिए रूस और भारतीय सरकारें आज भी खामोश है। मेरठ जैसे छोटे शाहर के कई व्यापारियों का पैसा भी डूबा
[३] बेशक रूस से हमारा पुराना रिश्ता रहा है प्राचीन आर्य बस्ती वहाँ हे.यूराल के पत्थर ताज महल में लगे है.भिलाई स्टील प्लांट के लिए युरलमाश कि मदद ली गयी थी वहाँ अब निवेश की जरुरत है
मगर
[4] रूस अभी विश्व व्यापार संघठन से दूर है .ऐसे में भारतीय पैसे की सुरक्षा के लिए कौन ?
[5]यदि एशिया के लिए कोई बाज़ार खुलेगा भी तो उसका लाभ चीन को अधिक होगा क्योंकि उसका माल ज्यादा सस्ता है।
[6] यदि भारत पाकिस्तान से आतंकवाद को लेकर अप्पा नही करता तो अपनी ज़ंग लड़ रहे अमेरिका को नाराज़ कर लेगा। अर्थार्त सांप के मुँह में चचुन्धर । इसीलिए मनमोहन जी बांसुरी वाले मोहन कि नीति अपनाओ और साफ़ सुथरे निकल आओ.
8 comments:
मेडम से पूछ कर ही करेगे ना, अब मर्जी कहां चलती है जी....
Very well said and analysed.Unfortunately,our foreign policy is more towards the USA.In such case your suggestions to Dr MMS are very thoughtful.
May be some top person or their advisors involved in foreign policy have hand in glove with other countries
i fully agree with u...we should adopt any step carefully....
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! बिल्कुल सही फ़रमाया आपने और मेरा ये मानना है कि जो भी काम हो उसे अच्छे तरीके से और ध्यानपूर्वक करना चाहिए!
बहुत बढ़िया कहा झाल्ला साहब। आपकी बात सही है बिल्कुल।
uncle ji bhaut dino se koi nayee vichar nahin aaye hain ye to bahut hi political tha
Betaa ji [1]jhalli-kalam-se
[2]angrezi-vichar.blogspot.com par bhee nazr daal liyaa karo.
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