Thursday, April 2, 2009

रामनवमी के पावन पर्व पर जय माता दी

आज सुबह ५बजे एक मात्र पत्नी श्री ने स्वप्नों की दुनिया में तेरतेइस भोले से झल्ले को उठाते हुए कहा की आज कंजकें बिठानी (पूजनी} हें जल्दी उठो ,तैयार हो जाओ \राम नवमी के लिए मिले अवकाश पर सुबह सुबह उठना किसको पसंद होगा मगर एक मात्र पत्नी का आदेश था सो उठे तैयार हुए सोफे पर बैठ कर रोजाना की तरह आदतन अखबार हाथ में उठाया ही था कि किचन से आवाज़ आई \
सात बजे तक ही अस्ठ्मीहै उस के बाद नवमी लग जायेगी \क्योंकि हमारे यहाँ पुश्तों से अस्ठ्मी पूजन का चलन हे सो छोटे पुत्र को लेकर कन्याओं को इखठाकरने निकल लिए \सूचना मिली कि कुछ कन्याएं बराबर वाले घर में हैं \वहाँ जा कर पता चल्लाकि ये परिवार तो हमसे भी फर्स्ट निकला \यहाँ कन्याओं को जिमा कर नवरात्रों के व्रतों का परायण भी किया जा चुका है \हाथ जोड़ कर यहाँ से कन्याओं को लेकर घर आए
श्रीमती जी ने हमें पीछे करते हुए कन्याओं को गिना \तपाक से बोली अरे ये तो पाँच ही हैं कम से कम सात तो होनी ही चाहिए \इतने मैं पुत्र श्री दो लरकोंको ले आए इन्हे देख कर श्रीमती और उनके श्री के जान में जान आई हवं पूजन के पश्चात कंजकों को उनके पाँवधुला कर विधिवत भोजन कराया गया \
१से ९ वर्ष कि कंजकों से लेकर परिवार ने मान्साध्यात्मुक भोजन,आनंद,और प्रसन्ताप्राप्त की\ झल्ले विचारानुसार आज के इस पावन पर्व पर भी लोहडी की तरह ही दूसरे भगवान् के लिए घोषित अवकाश पर ही अपना त्यौहार मनाना पडा लेकिन इस अवसर पर जिस तरह झल्ले को कंजकों की कमी हुई उसी तरह दूसरों को भी कमी खली होगी
सेन्ट्रल इंटे एजेंसी की वर्ल्ड फ़क्ट बुक में २०२ देशों से एकत्रित जानकारी के अनुसार २००६ तक ५१.३%पुरुषों के मुकाबिले मात्र ४८.७% कन्याएं जन्मी \इस किताब के अनुसार कन्याओं की कमी सभी जगह है \लेकिन हमारे देश मैं तो आए दिन कन्या भ्रूण हत्याओं के अपराध की ख़बर आती रहती है \झल्ले के विचार में तो अंग्रेजी प्रेम दिवस की तरह ही आज की कंजक पूजन को वैश्विक त्यौहार की मान्यता दिलानी होगी \इसके लिए पॉलिटिक्स के अगुआओं को महिलाओं को रिसर्वेशन दे कर आगे आना होगा \मुख्य चुनाव आयोग जी आपसे भी कर बद्ध निवेदन है की चुनावों मैं मतदान अधिकारी के रूप मैं भी इस झाल्ल्यत पर विचार करें \

5 comments:

कडुवासच said...

... प्रभावशाली अभिव्यक्ति है, न सिर्फ नेताओं को वरन सभी को इस दिशा मे कारगर कदम उठाना चाहिये।

योगेन्द्र मौदगिल said...

वा भइ वा झल्ले, गल्लां ते झल्लियां नी हैगी.. मेरा ख्याल ते हैगा के तुहाडी पोस्ट पढ़ण दे बाद समझदारां नूं आईना दिख्ग्या होणा... वाह पुत्तर वा.. शाब्बाश....

vijaymaudgill said...

vah bai vah naam jhalla te kam siyanya to v do ratian aghan de. bahoot khoob ashe lage apke vichar. asha karta hu ki apke ye vichar logo ki soch ban jaye.

Anil Kumar said...

बिल्कुल पते की बात की है आपने। वह दिन दूर नहीं जब कंजकों को खोजने के लिये पहले से आवेदनपत्र भरने पड़ेंगे। वैसे बोलो तो शेरां वाली माता, और वैसे बोलो तो पराया धन!

Urmi said...

बहुत बहुत शुक्रिया आपके सुंदर टिपण्णी के लिए और अंत में ओये बबली ओये कहकर तो और भी बेहतरीन बना दिया है शायरी को आपने!
वाह भाई वाह आपने तो कमाल का लिखा है! आप इतने सुंदर लिखते हैं की आपकी जितनी भी तारीफ की जाए उतना कम है!