Tuesday, January 20, 2009

झल्ली कलम से

एक खैर ख्वाह

ओये झाल्लेया तुझे क्या हो गया नए साल और लोहरी की बधाई देंना तो दूर तूने तो ब्लॉग पर आन्ना ही बंद कर दिया ओये असी कौन सी गधी गैर , भाम्भूसा , में फंस गया है
झल्ला
ओ भ्राता जी साब से पहले नए साल और लोहरी की विलंबित बधाई स्वीकार कर सभी ब्लोग्गेर्स बंधू इस झल्ले को माफ़ करेंगे डर असल नए साल के स्वागत में स्पिन की डिस्कें उचल रही है शैतिका बिदक रही है एस से कमर से फिन्गेर्स तक दर्द कबड्डी , खो खो खेल रहा है इसी लिए देरी हो गई है आशा है स्पेशल टूर झल्ले को माफ करो

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

ओऎ झालेया जा दो बारी माफ़ किता, साडा कि लगदा है चार बारी भी माफ़ कर देईये.