ओये झाल्लेया हुन की होसी ?हसाडे स्वर्ग जैसे कश्मीर मेंजनता ने आतंकवाद को धत्ता बताते हुए प्रथम श्रेणी वाले अंकों मे मतदान करके घाटी मे लोकतंत्र को और मजबूती प्रदान करदी मगर दुर्भाग्य से फिर एक बार लटकी हुई विधान सभा ही बन सकीअब फिर खिचरी सरकार को झेलना होगा जम्मू ,कश्मीर घाटी और लेह लद्दाख के तरानो को समूह गान मे सुनने का स्वर्गीय आनंद नहीं मिलेगा अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग से ही काम चलाना होगाअगर ऐसा ही चलता रहा तो पाकिस्तान से तस्करी से लाये जा रहे कर्कश नगारों मे सभी कुछ दब कर रह जाना है
झल्ला
ओ जी बात तो आप ठीक ही कह रहे हो मगर पिछले अनुभवों से खिचरी के स्वाद के सभी आदी हो चुके हैं आप लोगों ने तो अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा दी अब आपके नुमायिन्दों को अपने अपने सुर बदलने होंगे इस खिचरी मे अलगाववाद के कंकर पत्थर दाल कर इसे बेस्वाद करने के बजाये संत कबीर की पंचमेल खिचरी का विश्व प्रसिद्ध स्वाद सभी को चखाना होगा ढपली और रागों को एक सुर मे ढाल कर राग भारतीय बजा कर तस्करी के नगारों का सामना किया जा सकता हैतभी सही मायनो मे कश्मीर स्वर्ग बनेगा
4 comments:
कशमीर तभी स्वर्ग बने गा जब पाकिस्तान को सबक सिखाया जाये ओर गद्दर नेताओ को (कशमीर के)निकाल बाहर किया जाये.
धन्यवाद
... राज भाटिया जी सही कह रहे जान पडते हैं, लेख प्रसंशनीय है।
आपके लेख को पढ कर हम इसे झल्ली गल्लां तो कदापि नहीं कह सकते.
अच्छा लिखा है.
पहने सपनों की विजय माल
हो बहुत मुबारक नया साल
नए साल की नई किरन
सब गान मधुर पावन सुमिरन
सब नृत्य सजे सुर और ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
फिर से उम्मीद के नए रंग
भर लाएँ मन में नित उमंग
खुशियाँ ही खुशियाँ बेमिसाल
हो बहुत मुबारक नया साल
उपहार पुष्प मादक गुलाब
मीठी सुगंध उत्सव शबाब
शुभ गीत नृत्य और मधुर ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
आपके पूर् जोश, हंसी के फव्वारें हमें खूब भा गए है;... धन्यवाद!
कश्मीर तो कश्मीर ही है सर!
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