Saturday, November 29, 2008

ठान ही ले कि अभी नहीं तो फिर कभी नहीं

एक बुद्धिजीवी
ओये झ्ल्लेया ये कया हो रहा है ?हसाडे सोणे मुंबई शहर को किस बदनीयत की नज़र लग गई है पहले मुंबई ठाकरे की तिकरी के बाप की मुंबई बनी हुई थी अब आतंकवादियों की सैरगाह बनी है इस सप्ताह के मध्य मे कराची से गुजरात होते हुए समुद्री मार्ग से मुंबई आए और यहाँ देश की अस्मिता पर हमला बोल दिया १०५ साल पुरानी होटल ताज की आलिशान इमारत और ओबेरॉय ट्रिडेंट ,नारीमन बिल्डिंग मे सेकरों देसी और विदेसिओं की निर्मम ह्त्या की मुंबई को बचाने के लिए भूमि गत उसके तथागत पुत्रों के बजाये समूचे देश के जांबाज़ कमांडो अपनी जान हथेली पर रख कर आए लेकिन यार अफ़सोस के साथ कहना है कि पक्ष और विपक्ष के सत्ता मद में चूर नेताओं ने केवल एक दूसरे पर कीचर ही उछाला है अगर ऐसा ही चलता रहा तो हसाडे सोणे भारत सॉफ्ट स्टेट के कलंक को कभी नही धो पायेगा
झल्ला भाई साहब आज तो वाकई इस हृदय विदारक ,शर्मनाक,घटना पर कोई तंज़ कसने कि इछा नहीं हो रही है इसी लिए गंभीरतापूर्वक यह कहना है कि आज भोले पन को त्याग कर स्वार्थी ,भर्ष्ट नेताओं कि सूरत पर नहीं वरन उनकी सीरत पर नज़र डालते हुए ,आने वाले चुनावों मे , सचे भारतीय वोटर कि भूमिका निभानी होगी अब यह ठान ही ले कि अभी नही तो फिर कभी नहीं

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